मुंबई 09 अक्टूबर: भारत के महान उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज करा रहे थे, जहां उनकी हालत गंभीर थी। रतन टाटा का जीवन भारतीय उद्योग जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी मजबूत पहचान बनाई।
रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह की अध्यक्षता की और इस दौरान कंपनी के वार्षिक राजस्व को $5 बिलियन से बढ़ाकर $100 बिलियन तक पहुंचाया। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए। इनमें 2000 में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का ₹3,400 करोड़ में अधिग्रहण, 2007 में कोरस स्टील का ₹1,10,000 करोड़ में अधिग्रहण, और 2008 में जगुआर लैंड रोवर का ₹18,000 करोड़ में अधिग्रहण शामिल हैं। इन अधिग्रहणों ने टाटा समूह को एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनी बना दिया और भारतीय व्यापारिक जगत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती दी।
रतन टाटा की सबसे महत्वपूर्ण पहल में से एक थी टाटा नैनो कार, जिसे 2008 में ₹1 लाख की कीमत पर लॉन्च किया गया। यह कार भारतीय मध्यम वर्ग के लिए सस्ती परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के उनके दृष्टिकोण का प्रतीक थी, हालांकि यह परियोजना वाणिज्यिक रूप से सफल नहीं हो पाई, फिर भी इसने उनके जनसेवा के दृष्टिकोण को उजागर किया।
उनकी उद्यमशीलता के साथ-साथ उनकी सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता भी सराहनीय थी। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और कई सामाजिक कल्याण योजनाओं में योगदान दिया। टाटा संस के लाभ का 60-65% हिस्सा सामाजिक कार्यों में लगाया जाता है, जो उनकी सामाजिक सेवा की भावना को दर्शाता है।
रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोकमग्न है। उनके नेतृत्व, नैतिकता और समाज सेवा के प्रति समर्पण को देशभर के व्यापारियों, राजनेताओं और आम जनता द्वारा याद किया जा रहा है। उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिले, जिनमें भारत सरकार द्वारा 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें 2009 में ब्रिटेन के “नाइट कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर” की उपाधि भी दी गई थी।
रतन टाटा निधन पर देश भर से शोक व्यक्त किया जा रहा है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उद्योगपति और आम जनता ने उनके योगदान को सराहा और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
रतन टाटा के निधन से न केवल भारत ने एक महान उद्योगपति खो दिया है, बल्कि विश्व ने एक ऐसे इंसान को खो दिया है, जिसने अपने जीवन को समाज के विकास और उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनका जीवन और उनके कार्य सदियों तक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। उनके द्वारा स्थापित नैतिक मूल्यों और सामाजिक योगदानों को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी