नई दिल्ली:झारखंड की सभी 81 सीटों पर वोटों की गिनती हुई. गिरिडीह जिले के अंतर्गत आने वाले गांडेय सीट पर इस चुनाव में पूरे देश की नजर है. गांडेय से झारखंड मुक्ति मोर्च की वरिष्ठ नेता कल्पना सोरेन जीत मिली है. कल्पना सोरेन को दूसरी बार इस सीट से जीत मिली है. इससे पहले उन्होंने इसी साल हुए विधानसभा उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी. कल्पना सोरेन के सामने बीजेपी ने मुनिया देवी को मैदान में उतारा था.गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा सीट पर जेएमएम और कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि बीजेपी की तरफ से भी कड़ी टक्कर मिलती रही है. जेएमएम के सालखन सोरेन ने 1995, 1990, 2000 और 2005 में गांडेय सीट से जीत हासिल की थी. कांग्रेस के सरफराज अहमद ने 1980 और 2009 में गांडेय से जीत हासिल की थी. गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 2 चरणों में 13 और 20 नवंबर को वोट डाले गए थे. पहले चरण में 66 प्रतिशत और दूसरे चरण में 68 प्रतिशत वोट डाले गए थे. मतदान के बाद सामने आए एग्जिट पोल के दावे बंटे हुए थे. कुछ एग्जिट पोल ने जहां एनडीए की जीत का दावा किया है वहीं कुछ ने इंडिया गठबंधन की सरकार की वापसी के दावे किए गए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम और राजद गठबंधन को जीत मिली थी.
कल्पना का जवाब नहीं दे पाई बीजेपी
पति हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कुछ महीने पहले राजनीति में कदम रखने वाली कल्पना सोरेन चंद महीने में ही छा गई हैं। पूरे झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की तरफ से इनकी रैलियों की डिमांड सबसे ज्यादा देखी गई।खुद कल्पना ने भी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को निराश नहीं किया। कल्पना ने पूरे झारखंड में 100 से ज्यादा ताबड़तोड़ रैलियां। यहां तक कि जिस सभा स्थल पर खुद कल्पना नहीं पहुंच सकीं वहां उन्होंने फोन से रैलियों को संबोधित किया। पूरे राज्य में घूमने की वजह से कल्पना अपने विधानसभा क्षेत्र गांडेय में ज्यादा वक्त नहीं दे पाईं।झारखंड विधानसभा चुनाव प्रचार में बीजेपी ने हमेशा की तरह जनसभा और रोड शो के लिए दिग्गज नेताओं की फौज उतारी थी। इस ब्रिगेड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा सरीखे दिग्गजों ने ताबड़तोड़ रैलियां की। इसके अलावा मिथुन चक्रवर्ती, मनोज तिवारी, हेमा मालिनी जैसे स्टार प्रचारकों ने भी खूब ताकत झोंकी। बीजेपी ब्रिगेड में ऐसी कोई भी महिला स्टार प्रचारक नहीं दिखीं जो कल्पना सोरेन को चुनौती दे पाए।
पत्नी कल्पना को बताया वन.मैन आर्मी
हेमंत सोरेन ने कहा आपने देखा कि लोकसभा चुनाव में हमने कैसा प्रदर्शन किया जेएमएम.कांग्रेस गठबंधन ने 14 में से पांच सीटें जीती थीं अगर मैं जेल से बाहर होता तो हम और भी बेहतर प्रदर्शन करतेण् उस समयए मेरी पत्नी कल्पना सोरेन वन.मैन आर्मी के रूप में काम कर रही थीं इस बार हम दो थे
कल्पना की रैलियों में भारी भीड़
4 मार्च 2024 को राजनीति में आने वाली कल्पना सोरेन ने लोकसभा चुनाव के दौरान भी जेएमएम के लिए खूब रैलियां की थी। इसके बाद झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी कल्पना जहां भी रैली करने जातीं, वहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ती। रैलियों में उमड़े लोगों को देखकर यहां तक कहा जाने लगा कि कल्पना सोरेन ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ लंबी लकीर खींच दी हैं। कई मौकों पर कल्पना भीड़ जुटाने में पति हेमंत सोरेन से भी आगे निकलती दिखीं।
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1. कल्पना ने लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. लोकसभा चुनाव के दौरान संगठन का काम छोड़ कल्पना ने लोगों के बीच जाने का फैसला किया. उस वक्त चंपई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री थे. कल्पना पूरे लोकसभा चुनाव में झारखंड में हेमंत को न्याय दिलाने का कैंपेन शुरू किया.कल्पना इसके लिए प्रतिदिन 3-4 रैलियां करती थीं. खुद की गांडेय सीट पर कल्पना देर रात को प्रचार करती थीं. कल्पना की मेहनत रंग लाई और लोकसभा चुनाव में सभी आदिवासी बहुल सीटों पर इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल कर ली.
2. लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद हेमंत सोरेन को जमानत मिल गई. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हेमंत काबिज हो गए. कल्पना इस दौरान संगठन के छोटे-छोटे कामों में उलझी रहीं. अगस्त महीने में कल्पना ने महिलाओं के लिए एक कैंपेन की शुरुआत की.कल्पना इस दौरान अपने साथ महिला नेताओं को रखती थीं. कल्पना की यह रैली खूब सुर्खियों में रही. जेएमएम ने इस रैली का नाम मंईयां सम्मान दिया था.
3. विधानसभा के चुनाव में कल्पना ने पति हेमंत की तरफ से मोर्चा संभाला. कल्पना एक दिन में 5-5 रैलियां करने लगीं. जेएमएम के मुताबिक पूरे झारखंड चुनाव में कल्पना ने 100 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया. कल्पना अपने भाषण में महिला सम्मान, आदिवासी अस्मिता को फोकस में रखा.स्थानीय भाषा में बात करने और लोगों के बीच में आसानी से पहुंचने की वजह से कल्पना की लोकप्रियता बढ़ती चली गई. कल्पना ने पूरे कैंपेन के दौरान निगेटिव और विवादित बयानों से दूरी बनाए रखा.
4. हेमंत सोरेन के जेल जाने के वक्त उनकी भाभी पार्टी में महिला फेस थी. सीता सोरेन के पास जेएमएम के भीतर केंद्रीय महासचिव का भी पद था, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले सीता ने पाला बदल लिया. सीता बीजेपी में शामिल हो गईं.सीता के बीजेपी में जाने से कल्पना की राह आसान हो गई. सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन कभी शिबू सोरेन के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते थे.ओडिशा के मयूरभंजन की मूल निवासी कल्पना का जन्म पंजाब के कपूरथला में हुआ है. कल्पना ने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई केंद्रीय विद्यालय से की है. कल्पना के पास इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री भी है. राजनीति में आने से पहले कल्पना एजुकेशन के क्षेत्र में काम करती थीं.कल्पना और हेमंत की शादी साल 2006 में हुई थी. 2024 के उपचुनाव में कल्पना गांडेय सीट से मैद न में उतरी थीं. यहां से जीतकर वे विधायक चुनी गई थीं. इस बार भी कल्पना गांडेय से ही जीतकर सदन पहुंची हैं.चुनाव आयोग के मुताबिक पति हेमंत सोरेन से कल्पना अमीर हैं. कल्पना की कुल संपत्ति 5 करोड़ से ज्यादा है, जबकि हेमंत की कुल संपत्ति 2.59 करोड़ के आसपास है.