नई दिल्लीः उप राष्ट्रपति चुनाव का रण दिलचस्प हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य उच्च नेता-मंडल की उपस्थिति में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में दक्षिणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का नामांकन को दाखिल करने के साथ ही विपक्षी गठबंधन (इण्डिया ब्लॉक) ने भी उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।नामांकन दाखिल करने वाले विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी भी दक्षिण भारत से है और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य उच्च नेता-मंडल की उपस्थिति में पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के के न्यायाधीश रह चुके है।कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य सभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह घोषणा की और यह चुनाव हम एक वैचारिक लड़ाई के रूप में लड रहें है। इस प्रकार प्रतिपक्ष अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार कर चुका है कि वे लोकसभा और राज्य सभा में एन डी ए के बहुमत को देखते हुए हालांकि उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं जीत पायेंगे लेकिन इस चुनाव में अब दो उम्मीदवार मैदान में हैं। एनडीए की तरफ से महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन के मुकाबले इण्डिया गठबंधन ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है।
21 जुलाई, 2025 की रात उपराष्ट्रपति राजस्थान के शेखावाटी से सम्बन्ध रखने वाले जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद भारत के इतिहास में यह केवल तीसरी बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही पद छोड़ दिया हो।1952 से अब तक कुल 14 उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद से जुड़ी कुछ रोचक बातें हैं।देश के इतिहास में तीसरी बार उपराष्ट्रपति पद के लिए होंगे मध्यावधि चुनाव हो रहें है।
जगदीप धनखड़ से पहले अपने कार्यकाल के मध्य में पद छोड़ने वाले पहले उपराष्ट्रपति वीवी गिरि और दूसरे आर वेंकटरमन थे। दोनों ने राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होने के लिए कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया था। उनके स्थान पर क्रमश: गोपाल स्वरूप पाठक और शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति बने थे। पाठक अगस्त 1969 से लेकर अगस्त 1974 तक उपराष्ट्रपति रहे। वहीं डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा अगस्त 1987 में उपराष्ट्रपति बने थे।11 अगस्त, 2022 को एम वेंकैया नायडू की जगह पदभार ग्रहण करने वाले जगदीप धनखड़ के पांच साल के कार्यकाल में अभी दो साल और बाकी थे। हालांकि, उनके उत्तराधिकारी का चुनाव केवल शेष अवधि के लिए नहीं होगा। उनका कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच साल का होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है। इस बार का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। दिल्ली की राजनीति से लेकर संसद तक यह चुनाव नीतिगत और रणनीतिक फैसलों पर असर डाल सकता है। संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है।इस प्रक्रिया में मतदाता वरीयता क्रम में उम्मीदवारों को रैंक करते हैं। लोक सभा या राज्य सभा के महासचिव को चक्रीय आधार पर रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है।
निर्वाचक मंडल मेंलोकसभा के निर्वाचित सदस्य,राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं।चुनाव में राज्य विधानसभा के सदस्य शामिल नहीं होते। चुनाव गोपनीय मतदाता प्रणाली के तहत किया जाता है।यह अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होता है।प्राथमिकता वोटिंग का उपयोग किया जाता है- यानी सांसद अपनी पसंद के अनुसार वरीयता क्रम में उम्मीदवारों की प्राथमिकता तय करते हैं ।चुनाव का फार्मूला प्रत्येक सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रैंक करता है, और सभी वोटों का भार समान होता है। जीतने के लिए एक उम्मीदवार को एक कोटा प्राप्त करना होता है, जिसकी गणना (कुल वैध वोट 2) + 1 के रूप में की जाती है।यदि पहले दौर में कोई भी उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर पाता है, तो सबसे कम प्रथम वरीयता वाले वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है, और उन मतपत्रों से द्वितीय वरीयता वाले को वोट स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि कोई एक उम्मीदवार कोटा हासिल नहीं कर लेता।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए
नामांकन दाखिल की अंतिम तिथि 21 अगस्त 2025 है ।नामांकन पत्रों की जांच 23 अगस्त 2025 को होगी तथा नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 26 अगस्त 2025 रखी गई गई है ।वोटिंग और परिणाम घोषित करने की तारीख: 9 सितंबर 2025 है । जीत के गणित में एडीए का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है।वर्तमान में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं (233 निर्वाचित + 12 मनोनीत)। दोनों सदनों में वर्तमान संयुक्त संख्या 788 है, जिसमें छह रिक्त स्थान भी शामिल हैं। कुल 782 सांसद मतदान में हिस्सा लेंगे । किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 391 या उससे अधिक वैध वोट चाहिए।एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 वोट हैं। इस तरह एनडीए के पास लगभग 422 वोटों का समर्थन है, जिससे वह बहुमत में है।