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उत्तराखंड UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना

उत्तराखंड में आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू .उत्तराखंड में आज से बहुचर्चित कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू हो रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री ने रविवार को कहा था कि हम सोमवार यानी 27 जनवरी से UCC के नियमों को लागू करने जा रहे हैं. उत्तराखंड में UCC के नियम लागू होने के साथ ही ये राज्य देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है. UCC के लागू होते ही कई सारी चीजें आज से ही बदलने जा रही हैं. राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया है. यूसीसी का एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया जाएगा. आपको बता दें कि यूसीसी के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी. लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी. इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई थी. बीते दिनों कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली पर अपनी सहमति जताई थी. बीजेपी 2022 में लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटी थी. इससे पहले साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद से कोई भी पार्टी लगातार दो चुनाव नहीं जीत पाई थी. धामी ने इस जीत के लिए यूसीसी को भी श्रेय दिया था.उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने से एक दिन पहले कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह बीजेपी का पायलट प्रोजेक्ट है.उन्होंने कहा कि बीजेपी उत्तराखंड में इसे लागू कर लोगों की प्रतिक्रिया जानना चाहती है और फिर पूरे देश में इसकी शुरुआत करेगी. सिंघवी ने कहा कि इस मुद्दे पर सहमति नहीं है इसलिए बीजेपी उत्तराखंड से आज़मा रही है.

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद क्या बदलेगा?

अनुसूचित जनजाति और किसी प्राधिकरण के ज़रिए संरक्षित व्यक्ति और समुदायों को छोड़कर यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होगा.उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता क़ानून में विवाह और तलाक़, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इनसे जुड़े मुद्दे शामिल होंगे.साथ ही ये महिलाओं और पुरुषों के लिए शादी की एक उम्र तय करता है. इसके साथ ही सभी धर्मों में तलाक़ और दूसरी प्रकियाओं के लिए एक ज़मीन तय करता है. ये क़ानून बहुविवाह पर भी प्रतिबंध लगाता है.इस क़ानून के तहत सिर्फ़ उन दो पक्षों के बीच विवाह हो सकता है, जिसका कोई जीवित जीवनसाथी न हो, दोनों क़ानूनी अनुमति देने के लिए मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होना ज़रूरी है.विवाह धार्मिक रीति-रिवाज या क़ानूनी प्रावधान के अनुसार हो सकता है. साथ ही इस क़ानून के लागू होने के बाद 60 दिनों के अंदर शादी को रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा.यूसीसी के तहत सभी शादियों और लिव-इन रिलेशनशिप्स का रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. ऐसे केंद्र बनाए गए हैं, जहाँ पर लोग अपने विवाह को ऑनलाइन रजिस्टर करने के लिए मदद ले सकते हैं ताकि सरकारी दफ़्तरों की भागदौड़ न हो.एक सरकारी बयान के मुताबिक़, 26 मार्च 2010 से पहले जो भी विवाह राज्य में या राज्य से बाहर हुआ है उसमें दोनों पक्ष साथ रहे हैं और क़ानूनी पात्रता रखते हैं वो क़ानून लागू होने के छह महीनों के अंदर विवाह का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.कोई भी सैनिक या वायु सेना, नौसेना का जवान जो किसी अभियान, वास्तविक युद्ध में शामिल हो, विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत बना सकता है, जिसके लिए नियमों को लचीला रखा गया है.उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 को उत्तराखंड सरकार लागू करेगी, जो वसीयत उत्तराधिकार के तहत वसीयत को बनाने और रद्द करने के लिए एक सुव्यवस्थित ढांचा स्थापित करेगा.

इस क़ानून के मुताबिक़, अगर पति-पत्नी के बीच कोई भी मनमुटाव होता है तो उसके लिए वो कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं, जिसका समाधान क़ानून के आधार पर होगा.इसके अलावा आपसी सहमति से तलाक़ के मामले में भी कोर्ट का रुख़ करना होगा.इस क़ानून के तहत तलाक़ के लिए भी कई आधार दिए गए हैं, जब कोई शख़्स तलाक़ के लिए याचिका दायर कर सकता है, जैसे.. जब पति-पत्नी में से किसी ने भी किसी और के साथ मर्ज़ी से शारीरिक संबंध बनाए हों. जब किसी ने भी क्रूरता का व्यवहार किया हो. विवाह के बाद दोनों पक्ष कम से कम दो साल से अलग रह रहे हों. किसी एक पक्ष ने धर्म परिवर्तन कर लिया हो या कोई एक पक्ष मानसिक बीमारी से पीड़ित हो. कोई एक पक्ष यौन रोग से पीड़ित हो या सात साल से किसी एक पक्ष का कोई अता-पता न हो. विवाह के एक साल के अंदर तलाक़ के लिए याचिका पर प्रतिबंध होगा लेकिन असाधारण मामलों में ये दायर की जा सकती है. किसी व्यक्ति की प्रथा, रूढ़ि, परंपरा से तलाक़ नहीं हो सकेगा.यूसीसी के साथ-साथ ऐसा पहली बार हो रहा है, जब लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी क़ानून बनाए जाने की तैयारी हो रही है.उत्तराखंड के यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या इसकी तैयारी करने वालों के लिए भी प्रावधान किया गया है. जो लिव-इन रिलेशनशिप में हैं, उन्हें इसके बारे में ज़िले के रजिस्ट्रार के सामने घोषणा करनी होगी.

इसके साथ ही उत्तराखंड का जो निवासी राज्य के बाहर रहता है, वो अपने ज़िले में लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में बता सकता है.लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को भी वैध बच्चा घोषित किया गया है.इसके अलावा उन लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप वैध नहीं हो सकता जो अवयस्क हैं, पहले से शादीशुदा हैं या बलपूर्वक या धोखे से ऐसा कर रहे हैं.21 साल से कम उम्र के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक-युवती के परिजनों को इसके बारे में पहले से इसको लेकर सूचित करना ज़रूरी होगा.जो भी युवक-युवती एक महीने से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हों और उन्होंने इसके बारे में सूचित नहीं किया है तो उनको तीन महीने तक की सज़ा या उन पर 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है. लिव-इन रिलेशनशिप को ख़त्म करने की स्थिति में भी इसके बारे में घोषणा करनी होगी.

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