महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए दो दिन हो गए हैं. राज्य में महाविकास अघाड़ी की बुरी दुर्गति हुई है. लेकिन, इस बीच सोमवार को एक नई घटना घटी. महाविकास अघाड़ी के संस्थापक शरद पवार राज्य के पहले सीएम यशवंतराव बलवंतराव चव्हाण की पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि देने पहुंचे. राज्य में महाविकास अघाड़ी की बुरी हार पर शरद पवार ने रविवार को धन बल और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बंटेंगे तो कंटेंगे’ को अपने गठंधन की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था.शरद पवार, यशवंतराव बलवंतराव चव्हाण यानी वाईबी चव्हाण को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं. उन्होंने अपनी राजनीति के शुरुआती दिनों में उनके साथ काम किया. चव्हाण महाराष्ट्र के पहले सीएम रहने के साथ केंद्र की सरकार में वित्त, रक्षा और गृह मंत्री तक रहे. 1979 में वह कुछ समय के लिए देश के डिप्टी पीएम भी बनाए गए थे. हालांकि वह कभी पीएम बन पाए.25 नवंबर उनकी पुण्यतिथि है. वर्ष 1984 में उनका निधन हो गया था. सोमवार को कराड में उनकी प्रतिमा पर शरद पवार ने पुष्पांजलि अर्पित की. इसके कुछ देर बात राकांपा प्रमुख अजित पवार भी स्मारक पहुंचे और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी. शरद पवार के साथ उनके पोते रोहित पवार भी थे.
यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से संशय पैदा करता है. अजित पवार अपने चाचा शरद पवार को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं. भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल होने के बाद भी वह सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि उनकी एनसीपी की विचारधारा शरद पवार की विचारधारा है. विधानसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है. उनके पास इस वक्त 42 विधायक हैं. दूसरी ओर उनके चाचा शरद पवार की पार्टी के केवल 10 उम्मीदवार ही जीत हासिल कर पाए हैं. लेकिन, छह माह पहले लोकसभा में अजित पवार की एनसीपी की बुरी दुर्गति हुई थी. उनकी पार्टी से केवल एक सांसद बने थे जबकि चाचा शरद पवार की पार्टी से आठ सांसद निर्वाचित हुए थे.शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है लेकिन इस चुनाव में वह भतीजे से मात खा गए हैं. उनके राजनीतिक जीवन की यह सबसे बड़ी हार है लेकिन, तमाम जानकार यही कहते हैं कि चाचा और भतीजा यानी शरद पवार और अजित पवार भले ही इस वक्त अलग-अलग हों और लेकिन देर-सबेर वे फिर साथ आएंगे क्योंकि दोनों की विचारधार एक है. दोनों की राजनीतिक जमीन एक है. दोनों के कार्यकर्ता एक हैं. वोटर्स एक हैं.
मैं पवार साहब को इस उम्र में नहीं छोड़ सकता… बारामती में अजित पवार ने बताई थी अपनी मजबूरी
20 नवंबर को विधानसभा चुनावों से पहले बारामती में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आप सोच सकते हैं कि मैंने इस उम्र में पवार साहब को छोड़ दिया। मैंने उन्हें नहीं छोड़ा। विधायकों का मानना था कि महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान स्वीकृत कई विकास कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए सरकार में शामिल होना जरूरी था लेकिन उन्होंने इसे रोक दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विधायकों ने औपचारिक रूप से इस कदम का समर्थन किया था।