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कुंभ राशि में शनि हुए मार्गी, किसी को खुशी तो किसी को देंगे गम

नई दिल्ली:ज्योतिष में शनि देव को कर्म फलदाता और न्यायप्रिय देव कहा जाता है. शनि देव को मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व प्राप्त है. शनि तुला राशि में उच्च और मेष राशि में नीच होते हैं. साथ ही शनि 27 नक्षत्रों में तीन नक्षत्र पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद के स्वामी भी हैं.वैसे तो सभी ग्रह राशि परिवर्तन या गोचर करते हैं लेकिन शनि के चाल बदलने का प्रभाव ज्योतिष में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका कारण यह है कि शनि सभी ग्रहों की तुलना में सबसे धीमी गति से चलते हैं. इसलिए इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में जाने में शनि को अधिक समय लगता है और किसी राशि पर शनि का शुभ-अशुभ प्रभाव भी अधिक समय तक रहता है.ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि, शनि 30 जून 2024 से कुंभ राशि में वक्री अवस्था में थे. लेकिन अब लगभग 139 दिनों बाद शनि इसी राशि में मार्गी होने जा रहे हैं. बता दें कि शनि वक्री का अर्थ होता है उल्टी चाल चलना और मार्गी का अर्थ होता है सीधी चाल चलना.  शनि देव लगभग साढ़े चार महीने बाद मार्गी हुए है. ज्योतिष की दृष्टि से शनि का मार्गी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि 15 नवंबर को शाम 5 बजकर 9 मिनट पर अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में ही मार्गी हो गए हैं. अब शनि मार्च 2025 तक इसी अवस्था में रहेंगे. शनि का गोचर 29 मार्च 2025 को मीन राशि में होगा.शनि के मार्गी होते ही जहां कुछ राशियों का भाग्योदय होगा तो वहीं कुछ के जीवन में उथल-पुथल मच सकती है. खासकर जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उन्हें सावधान रहने की जरूरत है.

बेहद धीमी चाल से चलने वाले शनि ग्रह एक ही राशि में करीब ढाई साल तक गोचर करते हैं। एक ही राशि में लंबे तक गोचर करते हुए शनि कभी वक्री और कभी मार्गी गति से चलते हुए शुभ और अशुभ योग बनाते हैं। नया साल आरंभ होने से पहले शनि का मार्गी हो जाना बहुत ही शुभ संकेत है। जाते-जाते यह साल कुंभ और वश्चिक सहित कई राशियों के लिए उन्‍नति के द्वार खोल जाएगा तो वहीं कुछ राशियों के लोगों को अभी भी सही वक्‍त आने का इंतजार करना होगा। आइए देखते हैं शनि की सीधी चाल का सभी राशियों पर शुभाशुभ प्रभाव।ज्योतिष शास्त्र में शनि न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं। वह मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर अच्छा या बुरा फल देते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई वर्ष का समय लगता है। इसलिए इन्हें धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। शनि की धीमी गति के कारण जातक पर उनका प्रभाव लंबी अवधि तक बना रहता है।

कुंभ राशि में उनका प्रवेश करीब 30 साल बाद गत 17 जनवरी 2023 को हुआ था.जबकि कुंभ उनके स्वामित्व वाली ही राशि है.कुंभ शनि की मूल त्रिकोण राशि है.अभी मकर, कुंभ व मीन राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती और कर्क, वृश्चिक राशि के लोगों पर शनि की ढैय्या चल रही है.जिसके चलते अब 15 नवंबर से शनिदेव के सीधी चाल चलने के बाद मकर, कुंभ व मीन राशि के लोगों को शनि की साढ़े साती एवं कर्क व वृश्चिक राशि के लोगों को शनि की ढैय्या से भी बड़ी राहत मिलेगी.शनिदेव अपनी साढ़ेसाती, ढैय्या और अपनी महादशा व अंर्तदशा में व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं.शनि देव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करने वाले देवता के रूप में जाने जाते हैं.शनिदेव तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के ग्रह माने जाते हैं.बुध और शुक्र ग्रह के साथ इनकी मित्रता है जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह इनके शत्रु माने जाते हैं.शनिदेव पुष्य, अनुराधा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं.शनि एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए लगभग ढाई वर्षों का समय लगाते हैं.भवन निर्माण, कृषि कार्य, इंजीनियर ,इलेक्ट्रॉनिक, क्रेशर ,मार्बल, लकड़ी ,गैस ठेकेदारी, बिल्डिंग मटेरियल से जुड़े कर्म क्षेत्रों से जुड़े लोगों को शुभ लाभ होने वाला रहेगा.इसके साथ ही जिन जातकों को नई नौकरी की तलाश थी.उनको नई नौकरी की मिलने की संभावनाएं बनेंगी.साथ ही धर्म क्षेत्र का अस्तित्व पूरे विश्व में बढ़ेगा.बीमारियों के इलाज में भी नए-नए आविष्कार होंगे.नई-नई दवाइयां और तकनीक विकसित होगी.पेट से ,हृदय से, तथा कैंसर से जूझ रहे जातकों को राहत मिलनी शुरू हो जाएगी.दुर्घटनाएं अप्रिय घटनाएं हिंसा, प्राकृतिक आपदा होने की आशंका.फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार.वायुयान दुर्घटना होने की संभावना.पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा.राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे.सत्ता संगठन में बदलाव होंगे.पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा.आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है.

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिव उपासना और हनुमत उपासना करें.मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें.हनुमान चालीसा एवं शनि चालीसा का पाठ करें.शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान अवश्य करें.गरीब, वृद्ध, असहाय लोगों को भोजन कराएं.पशु पक्षियों के लिए दाने,  हरे चारे, पानी की व्यवस्था करें.तेल का दान भी करना चाहिए.तेल दान करने से आपको अपने कष्टों से छुटकारा मिलता है.शनिवार को लोहे से बनी चीजों को दान करना चाहिए.इस दिन लोहे का सामान दान करने से शनि देव शांत होते हैं.लोहा दान देने से शनि की दृष्टि निर्मल होती है.रुद्राक्ष की माला लेकर एक सौ आठ बार ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप करें, शनिदेव की कृपा बनेगी और कष्ट दूर होंगे.काले कुत्ते को शनिवार के दिन सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं.सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है. किसी असहाय को बेवजह परेशान नहीं करें.मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल नही करें.कमजोर व्यक्तियों का अपमान न करें.अनैतिक कार्यों से दूर रहें. 

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