दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अन्य शिक्षाविदों की उपस्थिति में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज ने किया सम्मानित
नई दिल्ली। संसदीय पत्रकारिता और विधायिका के क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान के लिए संसद टीवी के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.मनोज वर्मा को द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड से सम्मानित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले शोध संस्थान नई दिल्ली द्वारा यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अन्य शिक्षाविदों की उपस्थिति में दिल्ली विश्वविद्यालय वीमेंस एसोसिएशन के सेमिनार हाल में आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो बाला राम पाणि ने वरिष्ठ पत्रकार डॉ.मनोज वर्मा को सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप ग्यारह हजार हजार रुपये , शॉल, स्मृतिचिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड सम्मान समारो की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय भौतिकी विभाग में प्रोफेसर पी डी सहारे ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया थे ।
शिक्षा और महिला कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड कालिंदी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो मीना चरांदा को दिया गया ।सम्मान स्वरूप उन्हें ग्यारह हजार रुपये शॉल स्मृतिचिन्ह प्रशस्ति पत्र पटका दिया गया । इसके अलावा डूटा अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी, संयुक्त कुलानुशासक प्रो गीता सहारे, पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रेजी प्रो अनिल अनेजा, हिंदी विभाग से प्रो मंजू मुकुल कांबले, पीजीडीएवी कॉलेज के प्रो मनोज कुमार कैन, डीटीयू के प्रो जयगोपाल शर्मा, जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रो शक्ति कुमार, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के डॉ हरिओम दहिया, राष्ट्रीय कवयित्री प्रीति चौधरी, को अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड राष्ट्रीय से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले शोध संस्थान नई दिल्ली के तत्वावधान में किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले संस्थान के चेयरमैन डॉ हंसराज सुमन ने सावित्रीबाई फुले संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाया डाला। डॉ हंसराज सुमन ने अपने संबोधन में माता सावित्रीबाई फुले के सामाजिक महत्व को बताते हुए मुख्य रूप से स्त्री शिक्षा ए स्त्री सशक्तिकरण ए रोजगार में स्त्री की भूमिका और समाज में स्त्रियों की स्थिति पर अपने विचार रखे । उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में शैक्षिक पाठ्यक्रमों में माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ाना चाहिए जिससे बालक ध् बालिका उनसे प्रेरित हो ए इसके साथ ही समाज में स्त्रियों के प्रति नवीन दृष्टिकोण पैदा हो । सम्मान समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो बाला राम पाणि ने सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर किया । अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय भौतिकी विभाग में प्रोफेसर पी डी सहारे ने की। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के प्रचार सचिव शिक्षाविद डॉ के योगेश ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया थे।
मुख्य अतिथि प्रो बाला राम पाणि ने अपने संबोधन में कहा कि माता सावित्रीबाई फुले एक महान समाज सुधारक थीं। उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा समाज में फैली धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया।उन्होंने विषम परिस्थितियों में समाज में व्याप्त कुरीतियों के विपरीत जाकर स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाया। उनका जीवन संघर्ष निश्चित ही आज की महिलाओं के लिए प्रेरणा देता है संसाधनों के अभाव में भी वह स्त्री शशक्तिकरण के लिए दृढ़ता से लड़ती रही । प्रो पाणि ने आगे कहा कि सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका है जिन्होंने 1848 में पहला बालिका विद्यालय खोला। सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया उसी तरह से आज के हमारे शिक्षकों को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और संकल्प लेना चाहिए कि हमें अपने घर व आसपास रहने वाली बालिकाओं को पढ़ाना है । विशिष्ट अतिथि श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया ने कहा कि महाराष्ट्र में बालिकाओं के लिए विद्यालय खोलने व उन्हें शिक्षा दिलाने में माता सावित्रीबाई फुले के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता । संस्थान के चेयरमैन डॉण् सुमन ने प्रोण्पाणि के समक्ष उनके नाम पर दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेज खोलने का प्रस्ताव रखा । साथ ही उनके नाम पर उनके नाम पर शिक्षा केन्द्र तथा पीठ की स्थापना की जाए । डॉ सुमन ने अपने संबोधन में कहा कि वह अपने शोध संस्थान के माध्यम से यूजीसी व शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर सावित्रीबाई फुले को स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाए। इन पर शोधकर्ताओं द्वारा शोध हो ताकि वर्तमान पीढ़ी को पता चले कि उन्होंने कितना कष्ट सहकर बालिका शिक्षा के लिए काम किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो पी डी सहारे ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले देश की पहली ऐसी महिला है जिन्होंने बालिकाओं की शिक्षा पर बल दिया ।