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सबूत! पहलगाम हमले का आतंकी हाशिम मूसा निकला पाक फोर्स का पूर्व कमांडर

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार जिन तीन आतंकियों की पहचान की गई थी, उनमें ली भाई और आदिल हुसैन ठोकर के साथ ही हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान का नाम भी शामिल था. आतंकी हाशिम मूसा के बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसका पाकिस्तान कनेक्शन भी सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी मूल का हाशिम मूसा उर्फ आसिफ फौजी उर्फ सुलेमान पहले पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्स एसएसजी (स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप) का कमांडो था. पाकिस्तानी सेना में रहने के चलते ही उसे आसिफ ‘फौजी’ के नाम से भी जाना जाता था. सुरक्षा एजेंसियां पता करने में जुटी हैं कि एक-डेढ़ साल पहले जिस ग्रुप ने पुंछ राजौरी में घुसपैठ की थी, क्या ये वही है. दिसंबर 2023 में पुंछ में सेना के काफिले पर हमला किया और सैनिक के शव को क्षत-विक्षत कर दिया था. ये इसी के ग्रुप की करतूत हो सकती है.इस हमले में तीन आतंकवादियों की पहचान आसिफ फूजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा के तौर पर की गई है. ये आतंकी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) नाम के आतंकी संगठन से जुड़े हैं, जो कि प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा है. इन लोगों ने पहलगाम से 6 किलोमीटर दूर बसे बैसरन में घूमने आए पर्यटकों पर अचानक गोलियां चला दीं.

सुरक्षा एजेंसियों ने लश्कर-ए-तैयबा के बड़े आतंकी सैफुल्लाह कसूरी उर्फ़ खालिद को इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है.  जांच एजेंसियों ने यह भी पाया है कि इन आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची के सुरक्षित ठिकानों से जुड़े हुए हैं, जिससे सीमा पार आतंकी साजिश की पुष्टि होती है.इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने बताया कि पांच से छह आतंकी सेना जैसे कपड़े और कुर्ता-पायजामा पहनकर आस-पास के घने जंगल से आए थे और उनके पास एके-47 जैसे खतरनाक हथियार थे. हमले के बाद सुरक्षाबलों ने बड़ा तलाशी अभियान शुरू कर दिया है और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोकल आतंकियों पर भी कार्रवाई की जा रही है.

पाक सेना में आतंकियों की टोली

पाकिस्तानी सेना दुनिया की उन गिनी-चुनी सेनाओं में से है, जिसकी शक्ति सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति तक पर इसका गहरा प्रभाव है. पर जब बात भारत-पाक संबंधों की होती है, तो इस सेना का एक और चेहरा सामने आता है. एक ऐसा चेहरा जिसमें ‘आतंकी’ और ‘सैन्य यूनिट’ का फर्क मिट जाता है. ‘BAT’ यानी बॉर्डर एक्शन टीम और SSG यानी स्पेशल सर्विसेज ग्रुप, पाकिस्तान सेना के वे चेहरे हैं जो सीधे-सीधे भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ते हैं. BAT यानी Border Action Team, पाकिस्तान सेना और आतंकी संगठनों का एक संयुक्त दस्ता होता है. इसमें SSG कमांडोज़ और आतंकवादी समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षित आतंकवादी शामिल होते हैं.  इनका काम सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सेना पर हमला करना, जवानों के शवों के साथ बर्बरता करना और खुफिया जानकारी जुटाना होता है.इनका संचालन पूरी तरह पाकिस्तान की ISI और सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा किया जाता है. BAT हमले छुप कर किए जाते हैं. जैसे अचानक किसी पोस्ट पर धावा बोलना, गश्ती टीम पर हमला करना या घात लगाकर भारतीय सैनिकों की हत्या करना. 

SSG: पाकिस्तान की ‘ब्लैक यूनिट’

SSG यानी Special Services Group, पाकिस्तान सेना की सबसे खतरनाक और गुप्त कमांडो यूनिट है. भारत के NSG कमांडोज़ की तरह, लेकिन कहीं अधिक कट्टर और गुप्त तरीकों से प्रशिक्षित यह यूनिट दुश्मन देश में घुसकर मिशन को अंजाम देने के लिए जानी जाती है. इस यूनिट की खासियत है इनकी छद्म युद्ध क्षमता, छुपकर हमला करना, शत्रु की धरती पर सर्जिकल ऑपरेशन करना और खुफिया नेटवर्क को समर्थन देना. कई बार पाकिस्तान ने SSG के जवानों को BAT की टीम में शामिल कर भारत के खिलाफ सीमापार हमलों को अंजाम दिया है.

‘आतंकियों का खुला मंच’

पाक सेना पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वह न सिर्फ आतंकी संगठनों को पनाह देती है बल्कि उन्हें प्रशिक्षण और हथियार भी मुहैया कराती है.  BAT और SSG इसका सबसे बड़ा प्रमाण हैं.  अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की इस नीति की आलोचना होती रही है.उदाहरण के तौर पर, 2013 में पुंछ सेक्टर में भारतीय सैनिक हेमराज और सुधाकर सिंह के शवों के साथ हुई बर्बरता को BAT हमले से जोड़ा गया था. ऐसे हमलों के बाद भी पाकिस्तान सरकार और सेना कभी ज़िम्मेदारी नहीं लेती, जिससे यह बात और स्पष्ट होती है कि ये आतंकवाद को राज्य स्तर पर समर्थन देने का सीधा मामला है. 

भारत के लिए क्यों है यह खतरनाक?

भारत के लिए BAT और SSG सिर्फ सीमा पर तैनात यूनिट नहीं हैं, बल्कि ये एक मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा हैं. इनका उद्देश्य है भारतीय सेना का मनोबल गिराना, घाटी में अस्थिरता बढ़ाना और देश के अंदर आतंकवाद को बढ़ावा देना है. इनकी मौजूदगी की वजह से नियंत्रण रेखा (LoC) पर हमेशा तनाव रहता है.  ये यूनिट्स आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने में मदद करती हैं और सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर घाटी में डर का माहौल बनाती हैं. हर बार जब भारत अपने सैनिकों के साथ खड़ा होता है, पाकिस्तान इन छद्म यूनिट्स से नया हमला करने की कोशिश करता है. पाकिस्तानी सेना का ढांचा भारतीय सेना से अलग है. वहां सेना सिर्फ रक्षा नहीं करती, बल्कि देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था में भी दखल रखती है. पाकिस्तान में सेना खुद के लिए बिज़नेस एम्पायर चलाती है. ‘Fauji Foundation’, ‘Shaheen Foundation’ और ‘Army Welfare Trust’ जैसी संस्थाओं के ज़रिए वह अरबों डॉलर कमाती है. सेना प्रमुख वहां के प्रधानमंत्री से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं. चाहे वो जिया-उल-हक हों या परवेज़ मुशर्रफ, पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट एक सामान्य प्रक्रिया रही है. जब सेना चाहती है, सरकारें गिरा दी जाती हैं और नई कठपुतली सरकारें खड़ी कर दी जाती हैं. पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही वहां की सेना ने खुद को एक संरक्षक संस्था के रूप में स्थापित कर लिया है. उन्होंने देश को यह यकीन दिला दिया कि भारत से खतरा हमेशा बना रहेगा, और इस डर की राजनीति में सेना ने अपनी ताकत बढ़ाई.पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका से मिली सैन्य सहायता और हथियारों ने भी सेना को ताकतवर बना दिया. इसके अलावा, आतंकियों को पालने-पोसने की नीति ने उसे एक ‘प्रॉक्सी वॉर मशीन’ बना दिया. जब-जब आतंकवादी संगठन कमजोर होते हैं, सेना उन्हें फिर से संगठित करने में लग जाती है. 

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