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एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस…कौन होगा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री ?

शिवसेना (शिंदे गुट): 57

एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने पिछले लोकसभा चुनाव में 15 उम्मीदवार खड़े किए थे और उसने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 81 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिनमें से 57 को जीत मिली. उनकी पार्टी ने 16 प्रतिशत की बढ़त ली. लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी है जिसने 133 सीटें जीती हैं. इस स्थिति में क्या एकनाथ शिंदे फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कर सकते हैं? पहले जब उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपा गया था तब कोई चुनाव नहीं हुआ था बल्कि महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरी थी. और उस सरकार को गिराने में मुख्य भूमिका एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने निभाई थी. इन दोनों नेताओं की बगावत से शिवसेना और एनसीपी दो-दो धड़ों में टूट गई. एक-एक धड़ा एनडीए के साथ आ गया और एक-एक धड़ा एमवीए के साथ बना रहा. तब बीजेपी ने गठबंधन में समझौते की जरूरत को समझते हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद दिया और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बना दिया. अब जो सरकार गठित होने वाली है, वह विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश पर बनेगी. यह परिस्थितियां पिछली स्थिति से अलग हैं. ऐसे में एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री पद के लिए दावा नहीं कर सकते. उन्हें मंत्री या उप मुख्यमंत्री पद पाकर ही संतुष्ट होना पड़ेगा.  

भाजपा: 132 हालांकि, चुनाव से पहले और रिजल्ट के बाद दोनों स्थिति में जो संकेत मिल रह हे हैं, उससे यह साफ है कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार हैं. महायुति को 220+ सीटें मिली हैं. अकेली बीजेपी ने 125 से अधिक सीटों पर कब्जा जमाया है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस ही इस बार सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे. मगर सवाल है कि क्या एकनाथ शिंदे आसानी से मान जाएंगे? इसके जवाब से पहले यह जानना जरूरी है कि भाजपा में फडणवीस के लिए सीएम पद की मांग जोर पकड़ने लगी है. खुद आरएसएस भी चाहता है कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनें. साथ ही अमित शाह ने भी बीते दिनों चुनावी सभा में अपने बयान से इसका इशारा दिया थाजब महाराष्ट्र में पिछली सरकार गठित हुई थी तो मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान चलती रही थी. देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री का पद चाहते थे. उस समय पीएम नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को फोन किया था. उस फोन के साथ स्थिति बदल गई थी. देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देना स्वीकार किया और स्वयं डिप्टी सीएम बनकर संतुष्ट हो गए. इस गठबंधन सरकार ने अपना कार्यकाल सफलता के साथ पूरा किया. लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 30 पर जीत हासिल की थी. यह एनडीए के लिए बड़ा झटका था. बीजेपी ने 18 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे जीत सिर्फ 3 सीटों पर मिली थी. लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को कड़ा संदेश दिया जिससे वह सतर्क हुई और राज्य के लिए अपनी रणनीति बनाई. देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा का समर जीतने के लिए कड़ी मेहनत की जिसका परिणाम आज सामने आ गया है. ऐसी स्थिति में न तो एकनाथ शिंदे और न ही बीजेपी आलाकमान फडणवीस को मुख्यमंत्री पद देने से इनकार नहीं कर सकता. देवेंद्र फडणवीस के एक बार फिर से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना है.      

एनसीपी (अजित गुट): 41 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की इस पार्टी में बगावत करके महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल हुए थे. इससे एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई थी. एक हिस्सा शरद पवार के साथ रहा और नेताओं का बड़ा खेमा अजित पवार के साथ चला गया. इसके बाद पार्टी पर अधिकार को लेकर विवाद चला. चुनाव आयोग ने नियमों के मुताबिक अजित पवार के खेमे को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस घोषित किया और शरद पवार के धड़े को राष्ट्रवादी काग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) नाम दे दिया गया. विधानसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी के 59 उम्मीदवार खड़े हुए थे जिनमें से 41 विजयी हुए. अजित पवार ने इस चुनाव के नतीजों के साथ पार्टी के अपने धड़े को अधिक मजबूत साबित कर दिया है. हालांकि अब अजित पवार सरकार में पद के लिए सौदेबाजी की स्थिति में नहीं हैं. वास्तविकता यह है वे काफी सीटें हासिल करने के बावजूद सरकार में मजबूत नहीं हो सके हैं. बीजेपी के पास खुद का जितना संख्या बल है उसमें वह शिवसेना या एनसीपी में से किसी एक से ही समर्थन लेकर सरकार बना सकती है. ऐसे में अजित पवार को महाराष्ट्र की अगली सरकार का हिस्सा बने रहना है तो वे अपनी शर्तें नहीं रख सकते हैं.         

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