चेन्नै : तमिलनाडु में परसिमन को लेकर बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में विपक्ष ने ताकत दिखाई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के अध्यक्ष एमके स्टालिन की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। परिसीमन पर संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की यह पहली बैठक थी। अब अगली बैठक के लिए हैदराबाद को चुना गया है। स्टालिन ने कहा कि मैं केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पंजाब के नेताओं का हार्दिक स्वागत करता हूं, जो निष्पक्ष परिसीमन पर संयुक्त कार्रवाई समिति की बैठक में हमारे साथ शामिल हुए। स्टालिन ने कहा कि हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं। हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि अधिकार स्थापित करने के लिए निरंतर कार्रवाई बहुत जरूरी है।तमिलनाडु सरकार ने परिसीमन को लेकर राज्यों की चेन्नई में अपनी पहली बैठक की मेजबानी की। इस मौके पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि यह दिन इतिहास में दर्ज होगा।स्टालिन ने नेताओं से परिसीमन के मुद्दे को कानूनी मंच पर ले जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से इस राजनीतिक चीज को कानूनी तरीके से लेने के लिए इनपुट देने की अपील करता हूं। मैं इस निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन मुद्दे पर एक कानूनी विशेषज्ञ समिति बनाने का प्रस्ताव करता हूं। अगर हम सब मिलकर विरोध करेंगे, तभी हमें जीत मिल सकती है।

फेयर डेलिमिटेशन की दी टैगलाइन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि उचित परिसीमन के लिए अपनी प्रतिबद्धता में वे एकजुट हैं। उन्होंने कहा,’आज का दिन इतिहास में उस दिन के रूप में अंकित होगा जब हमारे देश के विकास में योगदान देने वाले राज्य #FairDelimitation सुनिश्चित करके इसके संघीय ढांचे की रक्षा के लिए एक साथ आए। मैं इस बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं, जो #FairDelimitation के लिए हमारी प्रतिबद्धता में एकजुट हैं।’पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी पूर्व प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए बैठक में शामिल नहीं हुईं। हालांकि, सत्र के दौरान उनके समर्थन को व्यक्त करने वाला एक पत्र पढ़ा गया। बैठक में ओडिशा की बीजू जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। पवन कल्याण के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश की NDA सहयोगी जन सेना पार्टी ने कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा। सत्र की शुरुआत तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा बैठक के महत्व पर सभा को संबोधित करने से हुई।
हैदराबाद में अगली बैठक तय
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अगली बैठक हैदराबाद में होगी। इससे पहले, तमिलनाडु के CM ने संयुक्त कार्रवाई समिति की बैठक का नेतृत्व करते हुए सभी विपक्षी दलों से परिसीमन अभ्यास के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि इससे दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक ताकत कमजोर होगी।चेन्नई में शनिवार को हुई पहली बैठक में स्टालिन ने परिसीमन मुद्दे पर एक कानूनी विशेषज्ञ समिति बनाने का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने निष्पक्ष परिसीमन की आवश्यकता पर जोर दिया।परिसीमन संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को जनसंख्या परिवर्तन के अनुसार पुनः परिभाषित करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग समान संख्या में लोग रहते हों। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो परिसीमन सीधे आकार से जुड़ा हुआ है। बड़ी आबादी वाले राज्यों को संसद में कम आबादी वाले राज्यों की तुलना में ज्यादा प्रतिनिधि मिलते हैं। दक्षिण के कई राज्यों की चिंता ये है कि उत्तर भारत के ज्यादा आबादी वाले राज्यों को परिसीमन में ज्यादा सीटें मिलेंगी जिससे संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया और स्टालिन पर कर्नाटक तथा केरल के साथ कावेरी और मुल्लापेरियार जल बंटवारे के विवादों पर ऐसी बैठकें न बुलाने का आरोप लगाया. भाजपा नेता तमिलिसाई सौंदरराजन ने इस बैठक को संबंधित नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार छिपाने वाली बैठक बताया.अन्नामलाई ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन परिसीमन पर अपना भ्रामक नाटक कर रहे होंगे, हम उम्मीद करते हैं कि वह इंडिया गठबंधन के अपने सहयोगियों को द्रमुक के मंत्री टी.एम. अनबरसन का यह भाषण सुनाएंगे. ऐसा लगता है कि द्रमुक के मंत्रियों ने उत्तर भारत के हमारे भाइयों और बहनों का अपमान करने का सामूहिक निर्णय लिया है.अन्नामलाई ने राज्य के मंत्री अनबरसन के कथित भाषण का एक वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसमें उत्तरी राज्यों में जनसंख्या वृद्धि के संबंध में अपमानजनक तुलना की गई थी.