नई दिल्ली:महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर हुई घटना के बाद योगी सरकार तुरंत एक्टिव नजर आई. घटना के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिस्पांड किया और तुरंत मशीनरी को राहत कार्य में लगाया उससे पूज्य संत बहुत प्रभावित हैं. स्वामी चिदानंद सरस्वती ने पुलिस की तैयारी और प्रशासनिक प्रयासों पर बात की. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की त्वरित प्रतिक्रिया और सुचारू व्यवस्थाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा की. वहीं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, रविंद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ को एक भव्य और सुव्यवस्थित आयोजन के रूप में मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे कार्य प्रशंसनीय हैं. पूज्य संतों ने महाकुंभ में घटना के बाद योगी सरकार के क्विक रिस्पॉन्स को सराहा है. स्वामी चिदानंद ने कहा कि घटना के बाद मुख्य सचिव और डीजीपी सहित शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति सरकार की सजगता को दिखाती है. रविंद्र पुरी ने भी की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना की.

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए पूरी मेहनत से प्रभावी प्रणाली लागू की है. किसी भी समस्या को दूर करने के लिए मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत भेजा है. उन्होंने यह भी जोर दिया कि प्रशासनिक व्यवस्था हो या श्रद्धालुओं की सुविधा, हर पहलू को सावधानीपूर्वक और गंभीरता से संभाला जा रहा है. मुख्य सचिव और डीजीपी सहित शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि सरकार व्यवस्था बनाए रखने और श्रद्धालुओं को सहज अनुभव प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, रविंद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ को एक भव्य और सुव्यवस्थित आयोजन के रूप में देखा जा रहा था. उन्होंने सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना की, जो हर सप्ताह दो बार कुंभ क्षेत्र का दौरा कर रहे थे. उन्होंने यह आश्वासन दिया था कि यदि किसी भी व्यवस्था में कोई समस्या हो, तो उसे सीधे उनके संज्ञान में लाया जा सकता है. पुरी ने मेला प्रशासन, अधिकारियों और आयोजकों की कड़ी मेहनत की सराहना की, जिन्होंने आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास किए.
इस बार के महाकुंभ में भगदड़ का यह हादसा रात करीब 1 बजे हुआ। जब संगम पर मौनी अमावस्या के स्नान को लेकर एकाएक भीड़ बढ़ने लगी। लोग मुख्य संगम पर ही स्नान करने की जिद करने लगे। तभी बढ़ते भीड़ के दबाव के कारण संगम के रास्ते में लगी बैरिकेडिंग टूट गई। इससे अचानक मेले में भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब लोग स्नान के लिए जा रहे थे, तभी बैरिकेडिंग के पास लोग सोए हुए थे। इसके चलते लेटे हुए लोगों के पैरों में फंसकर कुछ लोग गिर गए। उनके गिरते ही पीछे से आ रही लोगों की भीड़ एक के ऊपर एक गिरती चली गई। उस दिन रात को किसी को नींद नहीं आई। ज्यादातर लोग यही सोच रहे थे कि हर हाल में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना है, ताकि 144 साल बाद बने ऐसे शुभ संयोग का लाभ लिया जा सके। कुछ तो ऐसे थे, जो रात को ही संगम नोज जाने वाले रास्ते पर ही सो गए थे। उनका यह सोचना था कि उन्हें यहां से ज्यादा चलना नहीं पड़ेगा और वो पहले-पहल स्नान कर लेंगे। इसी वजह से ही रात 12 बजे के बाद से भीड़ बढ़ती गई। और आखिकरकार यह दुखद हादसा हो गया। हालांकि, इसमें योगी आदित्यनाथ प्रशासन की खूबी यह थी कि उसने पूरे भगदड़ को कुछ ही घंटे में पूरी तरह से संभाल लिया, वर्ना दसियों हजार जानें जातीं। उस दिन सुबह से जयश्रीराम का जयघोष, जय गंगा मइया और जय संगम का उद्घोष हो रहा था। लोगों में इतनी ठंड में गजब का उत्साह था। एक तो सोशल मीडिया पर महाकुंभ का इतना प्रचार प्रसार हो गया कि हर कोई यहां पहुंचने के लिए उतावला हो रहा था। दूसरा, यहां आने पर ज्यादातर लोग गंगा में नहीं संगम में ही डुबकी लगाने की चाहत लिए हुए थे। हर किसी को संगम में नहाकर ही मोक्ष की प्राप्ति हासिल करनी थी।रात 2 बजे के आसपास तब भगदड़ मची, जब रास्ते में सो रहे कुछ लोगों से टकराकर श्रद्धालु गिर पड़े। इसके बाद अफरा-तफरी जैसे हालात पैदा हो गए और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए। ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था।
मगर, कुछ ही समय में पहले से ही अलर्ट प्रशासन हरकत में आ गया। चंद मिनटों में ही प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया और संगम नोज की तरफ जाने वाले हर रास्ते को फौरन ब्लॉक कर दिया गया। इससे जो जहां था, वहीं उसे रोक दिया गया। उसे दूसरे रास्तों से घुमा दिया गया। हम लोग खुद भी नहाने से पहले 4 घंटे तक घूमते रह गए थे। फिर आखिरकार गंगा में ही स्नान किए। प्रशासन ने वहां करीब 3 करोड़ की भीड़ को करीब आधे घंटे में ही थाम लिया।संगम क्षेत्र में प्रशासन की ऐसी चाक-चौबंद व्यवस्था थी कि किसी भी अफरा-तफरी की स्थिति में वह फौरन अलर्ट मोड पर आ गया। यहां तक कि सोशल मीडिया पर रहने वाले श्रद्धालुओं को भी शाम तक ही पता चल पाया कि रात को संगम नोज पर कोई भगदड़ मची थी। लोग पैनिक न हों, इसलिए भी मरने वालों का आंकड़ा सरकार ने देर में बताया।उस दिन मेला क्षेत्र के सेक्टर 21 से संगम जाने वाले रास्ते पर भी भगदड़ मची थी। यहां पर भी वही हुआ था कि कोई रास्ते में किसी चीज से टकराकर गिर गया तो पीछे से आ रही लोगों की भीड़ भी गिरने लग गई। कई लोग बेहोश हो गए तो कुछ घायल हो गए। मगर, मुस्तैद प्रशासन ने पूरे माहौल को संभाल लिया और भीड़ को रोक लिया और उसे दूसरे रास्ते की ओर मोड़ दिया। इससे हालात बदतर नहीं होने पाया।संगम में उस दिन डुबकी लगाने आए रामकेवल बताते हैं कि मेल प्रशासन को यह अंदाजा तो था ही कि मौनी अमावस्या के दिन भारी भीड़ जुटने वाली थी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे। निगरानी की जा रही थी। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरे इंतजाम किए गए थे। मगर, यह भी बात थी कि अगर इतनी भीड़ भगदड़ की स्थिति में आती तो हालात ज्यादा बदतर हो जाते। प्रशासन ने पहले से ही ऐसा इंतजाम किया था कि भगदड़ की आग ज्यादा दूर तक न फैलने पाए।
इस बार के महाकुंभ में भगदड़ का यह हादसा रात करीब 1 बजे हुआ। जब संगम पर मौनी अमावस्या के स्नान को लेकर एकाएक भीड़ बढ़ने लगी। लोग मुख्य संगम पर ही स्नान करने की जिद करने लगे। तभी बढ़ते भीड़ के दबाव के कारण संगम के रास्ते में लगी बैरिकेडिंग टूट गई। इससे अचानक मेले में भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब लोग स्नान के लिए जा रहे थे, तभी बैरिकेडिंग के पास लोग सोए हुए थे। इसके चलते लेटे हुए लोगों के पैरों में फंसकर कुछ लोग गिर गए। उनके गिरते ही पीछे से आ रही लोगों की भीड़ एक के ऊपर एक गिरती चली गई।