तिरुवनंतपुरम। केरल में आईएएस अधिकारियों के बीच चल रही चल रहे घमासान के बीच सरकार ने सोमवार देर शाम दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के गोपालकृष्णन (उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक) और प्रशांत एन (कृषि विशेष सचिव) को अनुशासन भंग करने के आरोप में सेवा से निलंबित कर दिया. मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन द्वारा मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को दोनों नौकरशाहों के आचरण से अवगत कराए जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.गोपालकृष्णन ने कथित तौर पर धार्मिक आधार पर आईएएस अधिकारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जबकि प्रशांत ने सोशल मीडिया के माध्यम से अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ तीखा हमला किया था. दोनों अधिकारियों को अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम, 1968 का उल्लंघन करते पाया गया.गोपालकृष्णन के निलंबन आदेश में, मुख्य सचिव ने उल्लेख किया कि उनके द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप का उद्देश्य राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के भीतर विभाजन को बढ़ावा देना, फूट डालना और एकजुटता को तोड़ना था. प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि यह अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के भीतर सांप्रदायिक संरचना और गठबंधन पैदा कर रहा था. ‘मल्लू हिंदू ऑफ’ नामक यह समूह 31 अक्टूबर को बनाया गया था और इसके सदस्य सेवारत और सेवानिवृत्त नौकरशाह दोनों थे. कुछ जोड़े गए सदस्यों द्वारा इस अनियमितता की ओर ध्यान दिलाए जाने के बाद इसे हटा दिया गया.प्रशांत के निलंबन आदेश में मुख्य सचिव ने कहा कि उनकी टिप्पणी गंभीर अनुशासनहीनता के बराबर है और इससे राज्य में प्रशासनिक मशीनरी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है. टिप्पणियों में राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा करने की भी क्षमता है, जो जनता की सेवा को भी प्रभावित कर सकती है.
आदेश में कहा गया कि प्रशांत की टिप्पणी एक आईएएस अधिकारी के लिए अनुचित पाई गई. मुख्य सचिव द्वारा रविवार को व्हाट्सएप ग्रुप की घटना पर राज्य पुलिस प्रमुख की रिपोर्ट सीएम को भेजे जाने के बाद गोपालकृष्णन के खिलाफ़ कार्रवाई निश्चित थी.पुलिस ने निष्कर्ष निकाला था कि गोपालकृष्णन का दावा कि उनका फोन हैक किया गया था, उसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. सीएस ने रिपोर्ट के साथ एक नोट भी प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि मामले पर आईएएस अधिकारी द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं था.मुख्य सचिव ने रविवार को सीएम को प्रशांत के फेसबुक पोस्ट पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी सौंपी थी, जिसमें संकेत दिया गया था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना है. हालांकि, प्रशांत ने सोमवार को अपने फेसबुक कारनामों को जारी रखा, लेकिन गुप्त और अप्रत्यक्ष संदर्भों के साथ.प्रशांत ने राज्य सरकार की कंपनी KAMCO द्वारा विकसित एक वीडर मशीन की तस्वीर पोस्ट की. पोस्ट में, प्रशांत ने एक मलयालम फिल्म के एक संवाद का हवाला दिया जिसमें नायक कहता है कि वह एक “किसान” है जो “खरपतवार उखाड़ने” के लिए निकला है, जो कि अपने वरिष्ठ के ‘गलत कामों’ को उजागर करने के उनके कदम का स्पष्ट संदर्भ था. दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत ने सोमवार की पोस्ट में सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया.
सरकार ने सोमवार देर रात जारी सस्पेंशन ऑर्डर में स्पष्ट किया कि दोनों सिविल सेवा अधिकारियों का कार्य गंभीर अनुशासनहीनता और अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन है. आदेश में कहा गया कि सरकार के संज्ञान में आया है कि हाल ही में एक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ बनाया गया था और उद्योग निदेशक गोपालकृष्णन को उसका ‘एडमिन’ बताया गया था.इसमें कहा गया, “सरकार का पहली नजर में यह मानना है कि गोपालकृष्णन के द्वारा बनाए गए ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ का मकसद राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के बीच फूट डालना और उनकी एकजुटता को तोड़ना था.” आदेश में कहा गया, यह पाया गया कि यह अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के भीतर सांप्रदायिक संरचना और गुटबाजी पैदा कर रहा था.वहीं, विशेष सचिव (कृषि) एन. प्रशांत को निलंबित करने के एक अलग आदेश में सरकार ने अधिकारी पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस ए. जयतिलक के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘अपमानजनक बयान’ देने का आरोप लगाया. मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये टिप्पणियां गंभीर अनुशासनहीनता के बराबर हैं और ऐसी टिप्पणियां राज्य में प्रशासनिक प्रणाली की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाती हैं.इसमें कहा गया, प्रथम दृष्टया इन टिप्पणियों से राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा होने की आशंका है, जिससे जनता को दी जाने वाली सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को मुख्य सचिव से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था. प्रशांत ने हाल ही में ‘फेसबुक’ पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. जयतिलक पर उनके खिलाफ ‘निराधार’ खबरें प्रकाशित कराने का आरोप लगाया था.