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बीजेपी के हुए कैलाश गहलोत

कैलाश गहलोत ने सांसद मनोहर लाल और वीरेंद्र सचदेवा की मौजूदगी में बीजेपी का हाथ थामा. इस दौरान सचदेवा ने गहलोत के गले में पटका डालकर उनका पार्टी में स्वागत किया.गहलोत का इस्तीफा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से चल रहे मतभेदों का परिणाम है. उन्होंने अपने इस्तीफे में पार्टी के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों’ की ओर इशारा किया था. इसके अलावा, गहलोत ने केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए ‘शीशमहल’ जैसे विवादों का भी जिक्र किया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने पूर्व आधिकारिक आवास पर महंगी चीजों पर करोड़ों खर्च किए हैं.आप पार्टी ने गहलोत के इस्तीफे को ईडी और सीबीआई के दबाव का परिणाम बताया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि गहलोत के पास बीजेपी में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. उन्होंने इसे बीजेपी की ‘घिनौनी राजनीतिक साजिश’ करार दिया, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है.आप सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलाेत द्वारा मंत्री पद के साथ पार्टी छोड़ देने के एक दिन बाद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा वाले अपनी सारी ताकत लगाकर पिछले दस साल से हमारी पार्टी तोड़ने में लगे हैं। मगर उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी है। इसके साथ ही केजरीवाल ने फिर दोहराया कि उनकी पत्नी, बच्चे, उनके चाचा, ताऊ या कोई भी रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ने वाला है। उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि टिकट उसे मिलेगा जो हर तरह से उनकी कसौटी पर खरा उतरेगा।

बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने गहलोत के इस्तीफे का स्वागत किया है. उन्होंने इसे साहसी कदम बताते हुए कहा कि गहलोत ने वही मुद्दे उठाए हैं जिनके लिए बीजेपी केजरीवाल और ‘आप’ के खिलाफ लड़ाई कर रही है. सचदेवा का कहना है कि गहलोत के इस्तीफे से यह साबित होता है कि ‘आप’ के नेता भी केजरीवाल को ईमानदार नहीं मानते हैं.गहलोत का यह इस्तीफा उस समय आया है जब ‘आप’ पार्टी अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है. यह राजनीतिक घटनाक्रम दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, क्योंकि गहलोत के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी की स्थिति और मजबूत हो सकती है.

किसी के दबाव में फैसला नहीं लिया, आसान नहीं था आप छोड़ना

कैलाश गहलोत ने कहा कि मैंने आजतक किसी के दवाब में कोई काम नहीं किया है। जितनी भी ऐसी बातें मुझे सुनने में आ रही है कि मैंने ये सीबीआई के दवाब में ऐसा किया या किसी और दवाब में किया ये गलत है। यह निर्णय एक दिन का नहीं है। हजारों लोग अन्ना के आंदोलन के बाद एक विचारधारा से जुड़े, मेरा राजनीति में आने का मकसद लोगों की सेवा करना है। लेकिन जिन मूल्यों के लिए आम आदमी पार्टी ज्वाइन की उनका पतन देखा तो मैं दंग रह गया। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ मेरी बात नहीं है, हजारों आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ऐसा सोच रहे हैं। आम आदमी अब कुछ खास आदमी बन चुके हैं। कोई सरकार अगर लगातार केंद्र सरकार से लड़ने में समय निकालेगी तो दिल्ली का विकास कैसे होगा? मेरा जितना समय मंत्री के रूप में निकला, मेरी पूरी कोशिश रही कि मैं बेहतर करूं। मैं भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा ताकि दिल्ली का विकास कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ कर सकूं। मैंने अपनी प्रैक्टिस छोड़कर काम शुरू किया और आगे भी करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि आप छोड़ना आसान नहीं था। आप में अब हालात ठीक नहीं है। आप में आत्मविश्वास टूट गया है। पीएम मोदी की नीतियों से प्रभावित हुआ हूं। 

कैलाश गहलोत ने रविवार को ही आप की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। कैलाश गहलोत ने 19 फरवरी 2015 को पहली बार दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री के रूप शपथ ली थी। उसके बाद वह लगातार तीन बाद मंत्री बनाए गए। इस्तीफा देने से पहले कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। केजरीवाल को लिखे पत्र में गहलोत ने कहा कि इस समय आम आदमी पार्टी गंभीर चुनौतियां से गुजर रही है। पार्टी में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर हावी हो गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं। जो पार्टी ने दिल्ली की जनता से किए थे। यमुना को साफ करने का सपना पूरा नहीं हो पाया। यमुना अब पहले से ज्यादा प्रदूषित हो गई। इसके अलावा शीशमहल (मुख्यमंत्री आवास) जैसे कई अजीबोगरीब विवाद सामने आए। इसने पार्टी की छवि खराब हुई। सवाल उठ रहे हैं कि लोग पार्टी पर विश्वास कर रहे हैं। पार्टी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय केवल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। 

इसने दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं देने की हमारी क्षमता कमजोर हुई। दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है जिससे दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि राजनीतिक यात्रा दिल्ली के लोगों की सेवा करने के लिए शुरू की थी, इसे जारी रखना चाहता हूं। यही कारण है कि आप से अलग हो रहा हूं और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दिया।

मुख्यमंत्री ने इस्तीफा किया मंजूर
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत का मंत्री पद से स्वीकार कर लिया। वह दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री थे। वहीं आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कैलाश गहलोत के खिलाफ ईडी और इनकम टैक्स के कई मामले चल रहे थे। उनके ऊपर कई बार ईडी और इनकम टैक्स की छापेमारी हो चुकी है। ऐसे में इस छापेमारी से बचने के लिए उसके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा था। यह भाजपा का गंदा षड्यंत्र है। भाजपा दिल्ली चुनाव ईडी और सीबीआई के बल पर चुनाव जीतना चाहती है।कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद उनके सभी विभाग मुख्यमंत्री को सौंप दिए गए हैं। सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कैलाश गहलोत के सारे विभाग मुख्यमंत्री आतिशी के पास रहेंगे। इस मामले में मुख्यमंत्री आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को प्रस्ताव भेज दिया है।

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