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अंतर-सेवा संगठन अधिनियम-2023; भारतीय सशस्त्र बलों में एकीकरण का युग

भारत सरकार ने देश की सामरिक आवश्यकताओं को देखते हुए 27 मई 2025 को अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम- 2023 के नियमों को अधिसूचित कर दिया।यह अधिनियम भारत की रक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है, जो आधुनिक युद्ध की जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए सशस्त्रबलों को अधिक एकजुट, कुशल और प्रभावी बनाने का लक्ष्य रखता है। माना जा सकता है कि यह अधिनियम न केवल तीनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023 का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय सशस्त्रबलों की तीनों शाखाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय, एकीकरण और संयुक्त परिचालन क्षमता को बढ़ाना है। यह अधिनियम संयुक्त सैन्य अभियानों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एकल कमांड संरचना की स्थापना को प्रोत्साहित करता है।इस अधिनियम के बहुआयामी लक्ष्य है जैसे ,-अधिनियम थिएटर कमांड प्रणाली की नींव रखता है, जिसमें तीनों सेनाओं के संसाधन और कर्मी एक कमांडर के नेतृत्व में कार्य करेंगे। यह संरचना युद्ध के दौरान त्वरित और समन्वित निर्णय लेने में सहायक होगी।अंतर-सेवा संगठनों के कमांडरों को सभी सेनाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे कमांड की एकता सुनिश्चित होती है। इसका लक्ष्य संरचना के माध्यम से संसाधनों की बर्बादी को कम करना और परिचालन दक्षता को बढ़ाना और आधुनिक युद्ध की चुनौतियों, जैसे साइबर युद्ध, अंतरिक्ष-आधारित युद्ध और हाइब्रिड युद्ध, का सामना करने के लिए सशस्त्र बलों को सक्षम बनाना है।

इस अधिनियम के तहत कई महत्वपूर्ण अंतर-सेवा संगठनों को मान्यता दी गई है, जो रणनीतिक और परिचालन दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। इनमें  विभन्न सैन्य संगठन शामिल हैं जैसे अंडमान और निकोबार कमान, भारत की पहली एकीकृत थिएटर कमान है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक निगरानी और समुद्री सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। यह कमान भारत की समुद्री रणनीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी तरह सामरिक बल कमान, भारत की परमाणु संपत्तियों के प्रबंधन और परिचालन के लिए जिम्मेदार है।यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से परमाणु निवारण नीति के संदर्भ में। रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, अंतरिक्ष-आधारित रक्षा प्रौद्योगिकियों और परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह आधुनिक युद्ध की अंतरिक्ष-केंद्रित चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी तरह साइबर रक्षा एजेंसी यह संगठन साइबर युद्ध और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कार्य करता है, जो आधुनिक युद्ध में तेजी से महत्वपूर्ण हो रहा है।अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023 के कार्यान्वयन से भारतीय सशस्त्र बलों और राष्ट्रीय सुरक्षा को कई महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होंगे जैसे अब एकीकृत कमांड संरचना के माध्यम से निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी, जो युद्धकाल और संकटकाल में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

नई व्यवस्था से तीनों सेनाओं के संसाधनों का एकीकृत उपयोग बर्बादी को कम करेगा और परिचालन दक्षता को बढ़ाएगा। उदाहरण के लिए, साझा लॉजिस्टिक्स और प्रशिक्षण सुविधाएं लागत को कम करेंगी। अधिनियम तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और संयुक्त प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करता है, जिससे संयुक्त अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ेगी।साइबर युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और हाइब्रिड युद्ध जैसी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सशस्त्र बलों को सक्षम बनाएगा। नया कानून वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में भारत की स्थितिरू यह अधिनियम भारत को एक सशक्त और एकीकृत सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा, जो वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा।हालांकि यह अधिनियम रक्षा सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं। सबसे पहले, तीनों सेनाओं की अलग-अलग संस्कृति, परंपराएँ और कार्यप्रणालियाँ एकीकरण में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, थल सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संचार और समन्वय को सुचारू करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण और मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता होगी।

दूसरे, थिएटर कमांड प्रणाली को लागू करने के लिए बुनियादी ढांचे और तकनीकी संसाधनों में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, विभिन्न सेनाओं के बीच संसाधन आवंटन और कमांड की प्राथमिकताओं को संतुलित करना भी एक जटिल कार्य होगा। तीसरे, साइबर और अंतरिक्ष जैसे उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने के लिए कुशल मानव संसाधनों की आवश्यकता होगी।भारत को इन क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति और प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा। भविष्य में, इस अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार को न केवल नीतिगत सुधारों पर ध्यान देना होगा, बल्कि सेना के अधिकारियों और कर्मियों के बीच जागरूकता और प्रशिक्षण पर भी जोर देना होगा। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देकर भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत कर सकता है।कुल मिलाकर देखा जाय तो अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 भारतीय सशस्त्र बलों में एकीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह अधिनियम न केवल तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को मजबूत करता है, बल्कि भारत को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।थिएटर कमांड प्रणाली, एकीकृत संसाधन प्रबंधन और रणनीतिक संगठनों के सशक्तिकरण के माध्यम से यह अधिनियम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन्हें दूर करने के लिए दीर्घकालिक योजना, निवेश और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। यदि प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह अधिनियम भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त और एकीकृत सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करेगा, जो 21वीं सदी की रक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार होगी।

अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों की कार्यप्रणाली को पुनर्परिभाषित करते हैं। ये प्रावधान निम्नलिखित हैं:-

1.        कमांडर-इन-चीफ को अधिकारः अधिनियम के तहत अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ को थल सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। यह अधिकार मौजूदा सेवा अधिनियमोंकृसेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायु सेना अधिनियम 1950कृके तहत संचालित होगा।

2.        अंतर-सेवा संगठनों का गठनः केंद्र सरकार को अंतर-सेवा संगठन स्थापित करने और उनके कार्यों को परिभाषित करने का अधिकार है। ये संगठन राष्ट्रीय हित में निर्देश प्राप्त कर सकते हैं और संचालन के लिए जिम्मेदार होंगे।

3.        थिएटर कमांड की नींवः अधिनियम प्रस्तावित थिएटर कमांड प्रणाली को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। थिएटर कमांड एक भौगोलिक क्षेत्र में सभी सैन्य संसाधनों को एकीकृत कर एकल कमांडर के अधीन कार्य करेगी।

4.        सहायक संगठनों का सशक्तिकरण: अधिनियम में अंडमान और निकोबार कमान, सामरिक बल कमान और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी जैसे संगठनों को मान्यता दी गई है। ये संगठन रणनीतिक और परमाणु संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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