उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते निलंबित कर दिया गया है. अब IAS अभिषेक प्रकाश से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई है. आपको बता दें कि आईएएस अभिषेक प्रकाश अब डिफेंस कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण घोटाले में भी फंस सकते हैं. इस घोटाले की जांच में अभिषेक प्रकाश समेत 18 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. राजस्व परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. जांच में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश सहित एडीएम, एसडीएम व तहसीलदार सहित कई अफसर दोषी पाए गए थे.आरोप है कि सीनियर आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की है. अभिषेक प्रकाश के पास हजारों करोड़ की जमीन, मकान ,होटल और पैसे की लेने की बात सामने आई है.भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित किए गए IAS अभिषेक प्रकाश की विजिलेंस जांच भी की जाएगी। शासन ने अभिषेक प्रकाश की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। इस खुली जांच में उनकी संपत्ति और अर्जित किए गए धन की भी जांच की जाएगी। जांच के दौरान उनकी बरेली, पीलीभीत, हमीरपुर और लखनऊ में तैनाती के दौरान जुटाई गई संपत्ति का ब्यौरा भी विजिलेंस की टीम जुटाएगी। बता दें कि लखनऊ के जिलाधिकारी रहते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण के VC का चार्ज भी अभिषेक प्रकाश के पास था। ऐसे में अब विजिलेंस की टीम इन सभी जगहों से अर्जित संपत्तियों की जांच करेगी।आईएएस अभिषेक प्रकाश का नाम पहले भी तमाम विवादों में सामने आ चुका है. लखनऊ के डीएम रहने के दौरान भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण हुआ था. शिकायत के आधार पर राजस्व परिषद की टीम से मामले की जांच कराई गई, इसमें अभिषेक प्रकाश समेत कई अधिकारी और कर्मचारियों के नाम आए थे. नियमों को ताख पर रखकर जमीन अधिग्रहण का मुआवजा बांटा गया. राजस्व परिषद ने इस मामले पूरी रिपोर्ट नियुक्ति विभाग को भेज दी है. इस रिपोर्ट के आधार पर भी अभिषेक पर कार्रवाई हो सकती है. इसके अलावा बरेली में डीएम तैनाती के दौरान भी चर्चा में रहे. बरेली- लखनऊ हाईवे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा मुहैया करने का दावा कर बसाई गई निजी टाउनशिप में स्टांप कम लगाए जाने पर उनकी भूमिका पर सवाल उठे.
मामला SAEL Solar P6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता की शिकायत करने के बाद उजागर हुआ. दत्ता ने 20 मार्च को शिकायत लिखवाई थी कि वो राज्य में सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर प्लांट के पुर्जे बनाने की फैक्ट्री स्थापित करना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने आवेदन भी दिया था. हालांकि कमीशन न देने के कारण उनकी फाइल बार-बार टाल दी गई. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने उनसे निकांत जैन से मिलने को कहा और स्पष्ट कर दिया कि यदि जैन सहमति देंगे, तभी काम होगा.दत्ता ने बताया कि जब वो निकांत जैन से मिले, तो उन्होंने 5% कमीशन की मांग रखी, यानी 8000 करोड़ के निवेश की फाइल पास करने के लिए 400 करोड़ घूस की डिमांड की गई थी. कमीशन मांगने के आरोपी अभिषेक प्रकाश की नियुक्ति विभाग की संस्तुति पर गृह विभाग ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं. IAS अभिषेक के बरेली, लखीमपुर, हमीरपुर, लखनऊ में DM, LDA VC पोस्टिंग के समय जुटाई गई संपत्ति की जांच विजिलेंस टीम करेगी.उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘इन्वेस्ट यूपी’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से गुरुवार को निलंबित कर दिया था। अधिकारियों ने बताया कि इसी मामले में शामिल एक बिचौलिए को भी गिरफ्तार किया गया है। साल 2006 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सौर उद्योग के एक निवेशक द्वारा एक शिकायत दर्ज कराने के बाद निलंबित किया गया। शिकायत में निवेशक ने आरोप लगाया था कि बिचौलिये निकंत जैन ने उससे अभिषेक प्रकाश के नाम पर परियोजना की मंजूरी के लिए कमीशन की मांग की थी। निकंत जैन को भी गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। दरअसल, ‘इन्वेस्ट यूपी’ राज्य की निवेश संवर्द्धन और सुविधा एजेंसी है, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में निवेश को आकर्षित करना और सुविधा प्रदान करना है। आईएएस अभिषेक प्रकाश इसके सीईओ के रूप में कार्यरत थे। अधिकारियों ने बताया कि बिचौलिये निकंत जैन को ‘इन्वेस्ट यूपी’ के अधिकारियों की मदद से एक उद्यमी के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए उससे पैसे मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। निकंत जैन (40) के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करके गोमती नगर इलाके से उसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि पर्याप्त सुबूतों के आधार पर निकंत जैन को गोमती नगर में हुसड़िया चौकी के शहीद पथ के पास से गिरफ्तार किया गया।
प्राथमिकी के अनुसार एक औद्योगिक समूह ने ‘इन्वेस्ट यूपी’ के माध्यम से राज्य में एक सौर विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए आवेदन किया था। इसके अनुसार मामले की समीक्षा एक मूल्यांकन समिति द्वारा की गई, जिसके बाद ‘इन्वेस्ट यूपी’ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आवेदक को निकंत जैन से संपर्क करने को कहा। प्राथमिकी के अनुसार निकंत जैन ने अधिकार प्राप्त समिति और राज्य मंत्रिमंडल से अनुमोदन की सुविधा के लिए पांच प्रतिशत कमीशन (रिश्वत) की मांग की और आवेदक पर अग्रिम भुगतान करने का दबाव बनाया। प्राथमिकी के अनुसार जब आवेदक ने ऐसा करने से इनकार किया तो निकंत जैन ने चेतावनी दी कि उसकी मदद के बिना परियोजना आगे नहीं बढ़ेगी। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक बिचौलिये निकंत जैन का धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों का इतिहास है। उसके खिलाफ मेरठ, लखनऊ और एटा में कई मामले लंबित हैं। अधिकारी निकंत जैन की अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों में संभावित भागीदारी की जांच कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि निकंत जैन से जुड़े अधिकारियों या व्यक्तियों की पहचान करने के लिए जांच जारी है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि शिकायतकर्ता की निवेश परियोजना को अनावश्यक देरी के बिना मंजूरी दी जाएगी, जिससे भ्रष्टाचार मुक्त निवेश तंत्र के प्रति उसकी प्रतिबद्धता मजबूत होगी।