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हेमंत सोरेन ने झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

रांचीः झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया, जहां राज्यपाल संतोष गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। हेमंत सोरेन ने अकेले ही शपथ ली।रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित भव्य समारोह में हेमंत सोरेन ने अकेले ही मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इससे पहले वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जब हेमंत सोरेन ने सीएम के रूप में शपथ ली थी, तो जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी कोटे से मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। इस बार हेमंत सोरेन ने अकेले ही शपथ लेकर इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम नेताओं को कई संदेश देने का काम किया। इस बार हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही झारखंड में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत हासिल किया।शपथ ग्रहण समारोह में इंडिया ब्लॉक के कई शीर्ष नेता मंच पर मौजूद रहे। इनमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव शामिल रहे।इनके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके. शिवकुमार, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, बिहार के सांसद राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सांसद राघव चड्ढा ने समारोह में शिरकत की।हेमंत सोरेन के पिता और झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन और माता रूपी सोरेन और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी मंच पर मौजूद रहे। हेमंत सोरेन को मिलाकर अब तक कुल सात राजनेता झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। इनमें बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, रघुवर दास और चंपई सोरेन शामिल रहे हैं।हेमत सोरेन के शपथ ग्रहण के पहले समारोह स्थल पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए, जिसमें झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आए लोक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। शपथ ग्रहण के बाद हेमंत सोरेन प्रोजेक्ट भवन स्थित झारखंड मंत्रालय के लिए रवाना हुए। यहां कैबिनेट की पहली बैठक होनी है।शपथ लेने से पहले, कुर्ता-पायजामा पहने हेमंत सोरेन ने झामुमो अध्यक्ष और अपने पिता शिबू सोरेन से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। झामुमो नेता रिकॉर्ड चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गमलियल हेम्ब्रम को 39,791 मतों से हराकर बरहेट सीट बरकरार रखी।झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 49 वर्षीय नेता का मुख्यमंत्री के रूप में यह चौथा कार्यकाल होगा। हेमंत सोरेन राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर मोरहाबादी मैदान में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। वर्ष 2024 विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को बंपर जीत मिली है। जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी और भाकपा-माले को 81 में से 56 सीटों पर जीत मिली। इसमें जेएमएम को 34, कांग्रेस को 16, आरजेडी को 4 और भाकपा-माले को 2 सीटें मिली हैं। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की यह बड़ी जीत है। जेएमएम का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ लेने के बाद कांके रोड स्थित शहीद सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर विधायक कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं।

झारखंड में चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में रूप में शपथ लेकर रिकॉर्ड बनाने हेमंत सोरेन का सपना इंजीनियरिंग की डिग्री और उच्च शिक्षा हासिल करना था। इसके लिए हेमंत सोरेन ने पटना हाई स्कूल से इंटरमीडिएट करने के बाद रांची के मेसरा स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन भी ले लिया, लेकिन अचानक कुछ परिस्थितियों के कारण उन्हें गहरा सदमा लगा। प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान बीआईटी में एडमिशन लेने के बावजूद हेमंत सोरेन ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के नेमरा गांव में जब हेमंत सोरेन का जन्म हुआ, उस वक्त उनके पिता और दिशोम गुरु शिबू सोरेन टुंडी स्थित एक आश्रम में संताली समुदाय को जागृत करने के लिए अभियान चला रहे थे। टुंडी-निरसा क्षेत्र में ही शिबू सोरेन ने सबसे पहले बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर महाजनी प्रथा के आंदोलन की शुरुआत की। इसी दौरान चिरूडीह नरंसहार की घटना समेत अन्य बड़े आंदोलनों के कारण शिबू सोरेन को महीनों तक भूमिगत रहना पड़ा।इस दौरान हेमंत सोरेन और उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन का पालन-पोषण उनकी मां शिबू सोरेन ने ही किया। 1980 के दशक में शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो ने मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा नामक एक राजनीतिक दल का गठन कर लिया। इसमें झारखंड में खासकर कोयलांचल में वामपंथी विचारधारा से ओतप्रोत मजदूर नेता मासस के ए.के. राय भी हमराही बने।

झारखंड के इन तीन दिग्गजों के नेतृत्व में झारखंड अलग राज्य का आंदोलन तेज हो गया। शिबू सोरेन को संगठन और राजनीतिक बैठकों में भाग लेने के सिलसिले में अधिकांश दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ा था।पिता शिबू सोरेन की अनुपस्थिति में रूपी सोरेन ने ही दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की पढ़ाई-लिखाई का ख्याल रखा। हेमंत सोरेन ने पटना से 12वीं की परीक्षा पास की और इंजीनियरिंग करने बीआईटी मेसरा, रांची आ गए। उस वक्त उनके पिता शिबू सोरेन 1991 के चुनाव में दुमका से सांसद निर्वाचित हुए थे। लेकिन इसी दौरान शशिनाथ झा हत्याकांड और सांसद रिश्वत कांड के कारण शिबू सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई।सीबीआई की कार्रवाई के बावजूद शिबू सोरेन ने 1996 के लोकसभा चुनाव में फिर से जीत हासिल की। लेकिन राजनीतिक मुश्किलें बढ़ती ही गई। 1996 के लोकसभा चुनाव के पहले 1995 में दुर्गा सोरेन जामा से विधानसभा चुनाव जीत चुके थे, लेकिन बाद में उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इन्हीं सब पारिवारिक परिस्थितियों के कारण हेमंत सोरेन की राजनीति में एंट्री हुई।1998 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन को दुमका में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन को भी भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने पराजित किया। संताल परगना में जेएमएम की कमजोर सांगठनिक स्थिति को संभालने के लिए हेमंत सोरेन को सबसे पहले छात्र-युवा मोर्चा की जिम्मेदारी दी गई। हेमंत सोरेन पढ़ाई छोड़ की पूरी तरह से अपने पिता शिबू सोरेन और बड़े भाई दुर्गा सोरेन के लिए चुनाव तैयारियों का अपने हाथों में ले लिया। दुमका और संताल परगना क्षेत्र में संगठन को मजबूत बनाने में हेमंत सोरेन लग गए। हेमंत सोरेन के प्रयास से ही 2001 के दुमका लोकसभा उपचुनाव में शिबू सोरेन को एक बार फिर से बड़ी जीत मिली। 2004 और 2009 और 2014 के चुनाव में भी शिबू सोरेन को दुमका से जीत मिली। इसमें हेमंत सोरेन की बड़ी भूमिका रही।

2005 के दुमका विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पार्टी के कद्दावर नेता रहे स्टीफन मरांडी का टिकट काट कर हेमंत सोरेन को दुमका सीट से उम्मीदवार बनाया। लेकिन बगावत कर स्टीफन मरांडी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। पहले चुनाव में मिली हार से हेमंत सोरेन विचलित नहीं हुए। वो लगातार क्षेत्र में संगठन की मजबूती और जनसंपर्क अभियान में जुटे। इसी दौरान 2009 में हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत हो गई। जबकि शिबू सोरेन भी उम्र बढ़ने और स्वास्थ्य कारणों से राजनीतिक रूप से थोड़ा शिथिल हो गए, जिसके बाद संगठन की बागडोर पूरी तरह से हेमंत सोरेन के हाथों में आ गई।2005 में दुमका से मिली हार के बाद साल 2009 में जेएमएम ने उन्हें राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया। जिसमें उन्हें जीत मिली। इसके साथ ही हेमंत सोरेन का संसदीय राजनीति में पदार्पण किया। 24 जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक हेमंत सोरेन उच्च सदन के सदस्य रहे। इस बीच दिसंबर 2009 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट से जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे स्टीफन मरांडी तीसरे स्थान पर खिसक गए।वर्ष 2009 के चुनाव में पहली बार विधायक बनने के बाद हेमंत सोरेन 2010 में उपमुख्यमंत्री बने। अर्जुन मुंडा सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री रहे। यह उनके राजनीतिक जीवन की बड़ी सफलता थी।हेमंत सोरेन झारखंड में मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ लेने वाले पहले नेता होंगे। इसके पहले उन्होंने पहली बार 13 जुलाई 2013 को झामुमो, कांग्रेस, राजद गठबंधन के सहयोग से बनी सरकार में सीएम पद की शपथ ली थी। इस सरकार का कार्यकाल 23 दिसंबर 2014 तक था।वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका के साथ बरहेट सीट से भी चुनाव लड़ा। लेकिन इस चुनाव में दुमका से हेमंत सोरेन को बीजेपी की लुईस मरांडी से हार मिली, लेकिन बरहेट में हेमंत सोरेन ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को पराजित कर दिया। 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी, तो हेमंत सोरेन पांच वर्षों तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।दूसरी बार हेमंत सोरेन 29 दिसंबर 2019 में शपथ ली थी। 31 जनवरी 2024 को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जमानत पर बाहर आने के बाद 4 जुलाई 2024 को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी। हेमंत सोरेन के पहले उनके पिता शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा तीन-तीन बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।

बैडमिंटन, साइकिल और किताबों के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाने वाले हेमंत सोरेन अब राज्य में सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री बनने वाले नेता बन चुके हैं। 31 जनवरी 2024 को ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया, तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन पार्टी में स्टारक प्रचारक के रूप में उभरी। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के दो बच्चे हैं। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन से अलग इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए करीब 100 से अधिक चुनावी सभाएं की।जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम राजनीतिक दृष्टिकोण से अपने शिखर पर पहुंचे। अलग झारखंड राज्य गठन के बाद 2005 में जब पहला चुनाव हुआ, तो जेएमएम को 17 सीटें मिली। 2009 में जेएमएम की एक सीट बढ़ी और 81 में से 18 सीटें पार्टी को मिली। हालांकि इन चुनावों में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन भी सक्रिय थे। लेकिन 2010 में उपमुख्यमंत्री और फिर 2013 में सीएम बनने। इसके बाद दुमका में आयोजित महाधिवेशन में हेमंत सोरेन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए। फिर संगठन की पूरी कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आ गई। पर 2014 के चुनाव में जेएमएम को सिर्फ 18 सीटें ही मिली। लेकिन 2019 में जेएमएम ने पहली बार कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर 30 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि 2024 के चुनाव में जेएमएम को 34 सीटों पर जीत मिली।2024 में जेएमएम के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने पार्टी छोड़ दी। इससे पहले हेमंत सोरेन को जेएमएम के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी, साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू जैसे वरिष्ठ नेताओं से चुनौती मिली। हेमंत सोरेन से नाराज होकर इन नेताओं ने कुछ समय के लिए पार्टी छोड़ी, लेकिन फिर इन सभी की जेएमएम में वापसी हुई, उसके बाद ही इन नेताओं को संताल परगना क्षेत्र में जीत मिली।

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