ठाणे में कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा का सीएम हमें मंजूर है। मुझे पद की लालसा नहीं। जब मैं मुख्यमंत्री था तब मोदी जी मेरे साथ खड़े रहे। अब वो जो फैसला लेंगे स्वीकार होगा।शिंदे ने कहा- मैंने कल (26 नवंबर) मोदी जी को फोन किया था हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है, मन में कोई अड़चन न लाएं। हम सब NDA का हिस्सा हैं। भाजपा की बैठक में जो फैसला लिया जाएगा, हमें मंजूर होगा। कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है। हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं बनेंगे।शिंदे बोले, मैं कभी भी अपने आप को मुख्यमंत्री नहीं समझता। मैंने हमेशा आम आदमी बनकर काम किया। यह जनता की विजय है। समर्थन के लिए जनता को धन्यवाद। इलेक्शन के वक्त सुबह 5 बजे तक काम करते थे। सभी कार्यकर्ताओं ने बहुत मेहनत की।पूर्व डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिंदे के बयान ने सबकी शंका दूर की है। महायुति में कभी भी मतभेद नहीं रहा है। हम मुख्यमंत्री के नाम पर ही जल्द ही फैसला लेंगे।एकनाथ शिंदे ने कहा, ” आम आदमी को क्या समस्या आती है, वो मैं समझता हूं। मैंने कभी भी अपने आप को मुख्यमंत्री नहीं समझा। मैंने हमेशा आम आदमी बनकर काम किया। मैं देखता आ रहा हूं कि कुटुम्ब को कैसे चलाया जाता है। मैंने सोचा था कि जब मेरे पास अधिकार आएंगे तो जो परेशान हैं, उनके लिए योजनाएं लाएंगे।”
शिंदे ने कहा, “जब सीएम था, जब लोगों को लगता था कि हमारे बीच का मुख्ममंत्री है। घर हो, मंत्रालय हो, लोग आकर मिलते हैं। मेरी जो पहचान मिली है, वो आपकी वजह से है। मैंने लोकप्रियता के लिए काम नहीं किया, महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया। राज्य की बहनें और भाई अब खुश हैं। बहनों ने मेरा साथ दिया और मेरी रक्षा की, अब मैं उनका लाडला भाई हूं, यह पहचान अच्छी है।”हमने ढाई साल सरकार चलाई। इस दौरान केंद्र सरकार हमारे साथ मौजूद रही, खड़ी रही। हमारे हर प्रस्ताव को उसका समर्थन मिला। राज्य को चलाने के लिए केंद्र सरकार का साथ जरूरी है।शिंदे ने कहा, “मैंने मोदीजी-शाहजी को फोन किया। मैंने उनसे कहा कि आपका जो भी फैसला होगा, हमें स्वीकार है। भाजपा की बैठक में आपका कैंडिडेट चुना जाएगा, वो भी हमें स्वीकार है। हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं है। आप सरकार बनाने को लेकर जो फैसला लेना चाहते हैं, ले लीजिए। शिवसेना और मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं है।””हमने ढाई साल सरकार चलाई। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह ने मुझ जैसे कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी। ढाई साल तक दोनों चट्टान की तरह हमारे साथ खड़े रहे। मुझ से कहा कि आप जनता का काम करो और हम आपके साथ हैं।”एकनाथ शिंदे ने कहा, “मुझे पद की लालसा नहीं। हम लड़ने वाले लोग नहीं हैं। हम काम करने वाले लोग हैं। मैंने पीएम और गृह मंत्री से भी कह दिया है कि महाराष्ट्र में कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है, कोई नाराज नहीं, कोई गायब नहीं है। यहां कोई मतभेद नहीं है। एक स्पीड ब्रेकर था वो था महा विकास अघाड़ी, वो हटा दिया है।”केंद्र में जाने के सवाल पर शिंदे ने कहा- वे महायुति सरकार के साथ हैं। राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे।पूर्व डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिंदे के बयान ने सबकी शंका दूर की है। महायुति में कभी भी मतभेद नहीं रहा है। हम मुख्यमंत्री के नाम पर ही जल्द ही फैसला लेंगे।महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा- मैं महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे का आभार व्यक्त करता हूं। आज उन्होंने सभी संदेहों को दूर कर दिया है। उन्होंने लोगों से कहा कि महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर जो भी फैसला लेना होगा वह पीएम मोदी, अमित शाह लेंगे। उनका फैसला सभी को स्वीकार होगा। उन्होंने महाराष्ट्र के हित में यह कदम उठाया है। कई लोगों ने एकनाथ शिंदे पर सवाल उठाए थे। महायुति को लेकर बहुत सारे झूठ फैलाए थे। आज शिंदे ने महायुति, एनडीए को मजबूत करने का काम किया।
Inside Story’; बीजेपी के मुख्यमंत्री को स्वीकार करने के अलावा शिंदे के पास और कोई चारा नहीं बचा
23 नवंबर की तारीख को जब महाराष्ट्र चुनाव का रिजल्ट आया तो उसी दिन ये तस्वीर साफ हो गई थी कि BJP इस बार कॉम्प्रोमाइज करने के मूड में नहीं है. एकनाथ शिंदे ये जानते हैं कि बीजेपी कॉम्प्रोमाइज करने के मूड में नहीं है, लेकिन नतीजे के बाद से लगातार तीन दिन वह अपने लोगों की ओर से अपनी दावेदारी आगे करते रहे. यहां तक कि उन्होंने ये भी कहलवाया कि अगर उनको मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो आने वाले बीएमसी चुनाव का नतीजा भाजपा के लिए नकारात्मक जो जाएगा और महायुति हार जाएगी.भाजपा शिवसेना के समर्थकों और कार्यकर्ताओं की ये सारी चीजें चुपचाप देखती रही और किसी तरह के बयानबाजी से आपने आप को दूर रखा फिर मामला बदला कैसे? अगर सूत्रों की मानें तो भाजपा के एक बड़े नेता ने कल एकनाथ शिंदे से बात की. ऐसा बताया जा रहा है कि उन्होंने एकनाथ शिंदे को ये बताया कि उनकी मांग किसी भी सूरत में मान्य नहीं है और इस बार भाजपा इतनी प्रचंड जीत के बाद फिर से त्याग नहीं करेगी. इस बातचीत के बाद ऐसा लगता है कि एकनाथ शिंदे और उनके लोगों को ये एहसास हो गया है कि उनके पास बीजेपी के मुख्यमंत्री को स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है और शायद इसलिए आज ये प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गई, जिसमें एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिया कि उनके कारण महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘मैंने पीएम मोदी से साफ कर दिया कि मेरी वजह से महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. मैं पीएम मोदी-अमित शाह के फैसले का सम्मान करूंगा.’
अजित पवार ने फडणवीस के नाम का किया समर्थन, शिंदे ने किया सरेंडर
महाराष्ट्र में 23 नवंबर को जब चुनाव के नतीजे आ गए और तय हो गया कि 132 सीटों के साथ बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी है तो उसके साथ ही ये भी तय हो गया था कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री तो बीजेपी का ही होगा. इसकी वजह सीटों का अंकगणित था, जिसमें बीजेपी को सरकार बनाने के लिए अपने किसी भी सहयोगी से महज 13 सीटें ही चाहिए थी. महायुति गठबंधन के हिस्सेदार अजित पवार इस बात को पहले ही भांप गए थे कि 41 सीटों के साथ वो मुख्यमंत्री पद का तो दावा नहीं ही कर सकते हैं, लिहाजा उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम का समर्थन कर दिया. अब अजित पवार के 41 विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी सरकार बनाने में सक्षम थी. फिर भी बीजेपी ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई और एकनाथ शिंदे के अगले कदम का इंतजार किया.उधर, इंतजार एकनाथ शिंदे ने भी किया. उनके लोगों ने दावेदारी भी की. बीजेपी के नेताओं को पुराने बयानों का हवाला भी दिया. बार-बार कहा कि महायुति ने एकनाथ शिंदे के चेहरे पर चुनाव लड़ा है, लिहाजा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ही बनना चाहिए. लेकिन एकनाथ शिंदे को भी पता था कि उनकी ताकत उनके 57 ही विधायक हैं और इनके बल पर वो फिलहाल कुछ भी नहीं कर सकते हैं. लिहाजा उन्होंने बीजेपी के संख्या बल के सामने सरेंडर करना ही बेहतर समझा. अजित पवार के समर्थन के बाद बीजेपी को शिंदे की जरूरत भी नहीं थी. लेकिन अगर बीजेपी ये पहल करती तो फिर उसकी छवि खराब होने का डर था. क्योंकि बात फिर 2019 की होने लगती और कहा जाता कि बीजेपी ने जो काम उद्धव ठाकरे के साथ किया था वही काम अब बीजेपी एकनाथ शिंदे के साथ कर रही है ऐसे में बीजेपी ने इंतजार किया शिंदे को मनाने की कोशिश की और शिंदे मान भी गए