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कांग्रेस के मुंह संविधान संशोधन का खून लग गया : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्‍ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान आपातकाल का जिक्र किया और कांग्रेस पर जमकर बरसे. उन्‍होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया. साथ ही कहा कि कांग्रेस के मुंह संविधान संशोधन का खून लग गया है. उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. मैं इसलिए भी इस परिवार की चर्चा करता हूं कि मेरे 75 साल की इस यात्रा में 55 साल, एक ही परिवार ने राज किया है, इसलिए क्या-क्या हुआ है, देश को ये जानने का अधिकार है.पीएम मोदी ने कहा, “पहले पंडित नेहरू का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह मानी नहीं. करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था इंदिरा गांधी. 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया और 1971 में ये संविधान संशोधन किया गया था. उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे.”

भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना की, संविधान के महत्व को कम किया. कांग्रेस इसके अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा हुआ है. 370 के बारे में तो सबको पता है लेकिन 35-ए के बारे में पता बहुत कम है. भारत के संविधान का अगर कोई पहला पुत्र है तो ये संसद है लेकिन उसका भी इन्होंने गला घोटने का काम किया. 35-ए को संसद में लाए बिना उन्होंने देश पर थोप दिया. राष्ट्रपति के आदेश पर ये काम किया गया और देश की संसद को अंधेरे में रखा गया.”

संविधान से खिलवाड़ कांग्रेस की रगों में: पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान में लोगों के नाम ढूंढने वालों को मैं बता दूं कि कांग्रेस के अध्यक्ष सीताराम केसरी जो अति पिछड़े समाज से आते थे, उनका अपमान किया गया। उनको बाथरूम में बंद कर दिया गया। फुटपाथ पर फेंका गया। पूरी कांग्रेस पर एक परिवार ने कब्जा कर लिया। लोकतंत्र को नकार दिया। संविधान के साथ खिलवाड़ करता कांग्रेस की रगों में रहा है। हमारे लिए संविधान कर पवित्रता और शुचिता सर्वोपरि है। हमने 13 दिन सरकार चलाई। सरकारों को अस्थिर करने के लिए खेल खेले गए। सरकार बचाने के लिए वोट खरीदे गए। 90 के दशक में कई सांसदों को रिश्वत देने का पाप किया गया। कांग्रेस के लिए सत्ता सुख, सत्ता की भूख यही उसका इतिहास और वर्तमान है। 

समान नागरिक संहिता की संविधान सभा ने की थी वकालत

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान सभा में समान नागरिक संहिता को लेकर गहन चर्चा की गई थी। बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था कि धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की जरूरत है। मुंशी जी ने तब कहा था कि समान नागरिक संहिता देश की एकता अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार यूसीसी लाने की बात कही है। हम इसे लागू करने के लिए पूरी ताकत से लगे हैं। कांग्रेस के लोग संविधान निर्माताओं की भावना का अनादर कर रहे हैं। उनके लिए संविधान राजनीति का हथियार है। 

जो अपने संविधान को नहीं मानते वे देश का संविधान कैसे स्वीकार कर सकते

पीएम ने कहा कि जिन्होंने अपनी पार्टी के संविधान को स्वीकार नहीं किया है। इनकी शुरुआत ही गड़बड़ हुई है। 12 कांग्रेस की प्रदेश की कमेटियों ने सरदार पटेल के नाम पर सहमति दी थी। नेहरु जी के साथ एक भी कमेटी नहीं थी। संविधान के तहत सरदार साहब ही देश के प्रधानमंत्री बनते। लेकिन लोकतंत्र में श्रद्धा नहीं, खुद के ही संविधान को नहीं माना। इसलिए सरदार जी प्रधानमंत्री नहीं बने और ये बैठ गए। जो लोग अपनी ही पार्टी के संविधान को नहीं मानते, वे देश के संविधान को कैसे स्वीकार कर सकते हैं।

35ए पर संसद को अंधेरे में रखा

पीएम ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान की लगातार अवमानना की है। संविधान के महत्व को कम किया है। संविधान के साथ धोखेबाजी की गई। 35ए संसद में आए बिना देश पर थोप दिया। 35 ए न होता तो जम्मू-कश्मीर में ऐसे हालात न होते। इस पर संसद को अंधेरे में रखा गया। उनके पेट में पाप था। बाबा साहब आंबेडकर के प्रति भी कांग्रेस में कटुता भरी थी। कांग्रेस ने आंबेडकर जी का स्मारक भी नहीं बनवाया। हमने बाबा साहब मेमोरियल बनाया। आरक्षण को धर्म के आधार पर तुष्टिकरण के नाम पर नुकसान पहुंचाया। इसका नुकसान एससी-एसटी ओबीसी को हुआ। कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का विरोध किया है। इसके विरोध में लंबी-लंबी चिट्ठियां लिखी हैं। सदन में आरक्षण के खिलाफ भाषण दिए गए। कांग्रेस गई तब ओबीसी को आरक्षण मिला। कांग्रेस ने सत्ता सुख और वोट बैंक के लिए धर्म और संप्रदाय के आधार आरक्षण का खेल खेला।

संविधान को गहरी चोट पहुंचाई गई

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की अगली पीढ़ी भी यही खिलवाड़ कर रही है। एक किताब में लिखा गया है कि जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि मुझे यह स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इतिहास में पहली बार संविधान को गहरी चोट पहुंचाई गई। प्रधानमंत्री के ऊपर गैर सांविधानिक नेशनल एडवाइजरी काउंसिल बिठाया गया। उसे पीएमओ के ऊपर का दर्जा दिया गया। संविधान के तहत जनता सरकार चुनती है। अगली पीढ़ी ने क्या किया? सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट के निर्णय को संविधान का अपमान करने वालों ने फाड़ दिया। संविधान के साथ खिलवाड़ करना और न मानना उनकी आदत हो गई है। अहंकारी व्यक्ति ने कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया। दुर्भाग्य देखिए एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।

राजीव गांधी ने संविधान की भावना की बलि चढ़ाई

पीएम ने कहा कि आपातकाल में लोगों के अधिकार छीने गए। लोकतंत्र का गला घोंटा गया। इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाने वाले जस्टिस एचआर खन्ना को मुख्य न्यायाधीश नहीं बनने दिया गया। देश पर जुल्म और तांडव चला। एक निर्दयी सरकार संविधान को चूर-चूर करती रही। यह परंपरा नेहरू जी के बाद इंदिरा ने आगे बढ़ाई। इसके बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संविधान को एक और झटका दिया। उन्होंने सबको समानता, सबको न्याय की भावना को चोट पहुंचाई। शाहबानो को संविधान के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया था, तब राजीव गांधी ने उस महिला की भावना को नकार दिया। उन्होंने वोट बैंक के लिए संविधान की भावना को बलि चढ़ाया और कट्टरपंथियों का साथ दिया। संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटा। 

इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोपी: पीएम

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान संशोधन का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वह समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान के स्पिरिट को लहूलुहान किया। छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया, उसको खाद पानी एक और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया। 1971 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान बदलकर पलटा गया। उन्होंने देश की अदालत के पंख काट दिए थे। उन्होंने तब अदालत के अधिकारों को छीना था। कोई रोकने वाला था नहीं। इसलिए जब इंदिरा जी के चुनाव को अदालत ने खारिज कर दिया और उनको सांसद पद छोड़ने की नौबत आई, तो उन्होंने गुस्से में देश पर इमरजेंसी थोप दी। अपनी कुर्सी बचाने के लिए और उसके बाद 1975 में 39वां संशोधन किया और उसमें उन्होंने क्या किया- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष इनके चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता, ऐसा नियम बनाया और इसे पीछे के लिए भी लागू कर दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू जी ने उस दौरान एक चिट्ठी लिखी थी। अगर संविधान हमारे रास्ते में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। जब देश में संविधान नहीं था। तब राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी ने चेताया था कि यह गलत कर रहे हो। तब हमारे स्पीकर ने भी इसे गलत बताया था। आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण जैसी बड़ी शख्सियतों ने भी इसे गलत करार दिया। लेकिन नेहरू जी का अलग संविधान चलता था। इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह नहीं मानी और उनकी राय को दरकिनार कर दिया।पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के लंबे इतिहास में एक ही परिवार ने राज किया है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति, इसकी परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। 1947 टू 1952 इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। चुनाव नहीं हुए थे। एक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर खाका खड़ा हुआ था। 1952 के पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था। जनता का कोई आदेश नहीं हुआ था। अभी अभी तो संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाया था। तब उन्होंने ऑर्डिनेंस कर के संविधान को बदला और किया क्या- अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। ये संविधान निर्माताओं का भी अपमान था। लेकिन वहां उनकी चली नहीं। बाद में जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा मार दिया। वो जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए, वो उन्होंने पीछे के दरवाजे से किया। जो चुनी हुई सरकार के नेता नहीं थे, उन्होंने ये किया।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो संविधान के प्रति विशेष आदर का भाव व्यक्त करने आया। संविधान की वजह से हम यहां पहुंच पाए। संविधान के सामर्थ्य और जनता के आशीष ने हमें यहां तीसरी बार पहुंचाया है। मैं देश की जनता संविधान के साथ खड़ी रही। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि तब अटल जी की सरकार थी। जब देश संविधान का 50 वर्ष मना रहा था। तब यह मेरा भी सौभाग्य था कि मुझे संवैधानिक प्रक्रिया से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया था। तब मैंने तय किया था मुख्यमंत्री के नाते कि हम संविधान के 60 साल मनाएंगे। हमने यह किया था। आज 75वें साल में भी मुझे संविधान दिवस मनाने का अवसर मिला। जब मैंने संविधान दिवस मनाने के लिए कहा था, तब एक नेता ने कहा था कि 26 जनवरी तो है, संविधान दिवस की क्या जरूरत। इसी सदन की बात है। अच्छा होता कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोग संविधान की चर्चा करते, लेकिन यहां कुछ और ही बात हुई।पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के जब 25 साल थे, हमारे देश में इमरजेंसी लाई गई। नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता को ताले लगा दिए गए। कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है न, यह धुलने वाला नहीं है। लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। जब 50 साल हुए तब क्या भुला दिया गया था। तब देशभर में संविधान का 50वां वर्ष मनाया गया था। अटल जी ने देश को एकता और संविधान की भावना का संदेश दिया था।  पीएम मोदी ने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे में भेदभाव की बू आती रही है। हमने उसे मिटाया और एकता को मजबूत किया। देश के हर राज्य में बुनियादी ढांचे को सामर्थ्य देने का हमने काम किया। पीएम ने कहा कि युग बदल चुका है। भारत की तकनीक का हमने विकास किया। हम तकनीक को पंचायत तक लेकर गए हैं। हमने मातृभाषा का महत्व स्वीकारा है। हमने नई शिक्षा नीति में इसको बल दिया है। अब गरीब का बच्चा भी मातृभाषा में डॉक्टर, इंजीनियर बन सकेगा। हमने शास्त्रीय भाषाओं की दिशा में भी काम किया है। एक भारत श्रेष्ठ भारत देश की एकता को मजबूत कर रहा है। 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं संविधान के प्रकाश में इन बातों को रख रहा था। पिछले 10 साल देश की जनता ने हमें जो बहुमत दिया है, उसमें हमने देश में एकता का भाव मजबूत किया है। जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 देश की एकता में रोड़ा बन रहा था। हमने अनुच्छेद 370 को हटा दिया। वन नेशन-वन टैक्स यानी जीएसटी, वन नेशन-वन राशन कार्ड हमने लागू किया। आज देश का कोई व्यक्ति अगर कहीं बीमार हो गया तो उसके पास देश में आयुष्मान कार्ड है। हमने वन नेशन-वन इलेक्ट्रिक ग्रिड के सपने को पूरा कर दिया। आज बिजली को देश के किसी भी जगह से कहीं भी दिया जा सकता है।पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है। हमारे संविधान के निर्माण में इस देश के बड़े दिग्गज रहे हैं। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व था। सभी भारत की एकता के लिए बहुत संवेदनशील थे। बाबासाहेब आंबेडकर जी ने चेताया था कि समस्या यह है कि देश में जो विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए। कैसे देश के लोगों को एक साथ होकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे देश में एकता की भावना पैदा हो। मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता के कारण अगर सबसे बड़ा प्रहार हुआ है तो वह संविधान के मूलभाव पर प्रहार हुआ है। इस देश की प्रगति विविधता में एकता सेलिब्रेट करने में रही है। लेकिन गुलामी की मानसिकता में पैदा हुए लोग, जिनके लिए हिंदुस्तान 1947 में ही पैदा हुआ, वह विविधता में एकता को सेलिब्रेट करने के बजाय, उसमें इस तरह जहर बोते रहे कि उससे चोट पहुंचे।

जी-20 समिट में हमने विश्व के सामने वीमेन लेड डवलपमेंट पर विचार रखा था। अब इसकी चर्चा को अंजाम दिया। हम सांसदों ने मिलकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया। इससे हमने महिलाओं की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित की। हर बड़ी योजना के मध्य में महिलाएं हैं। संविधान के 75वें वर्ष में भारत की राष्ट्रपति भी महिला हैं। यह हमारे संविधान की भावना की अभिव्यक्ति है। पीएम ने कहा कि सदन में लगातार महिला सांसदों की संख्या और योगदान बड़ा है। हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान, प्रतिनिधित्व देश के लिए गौरव दिलाने वाला रहा है। लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि संविधान निर्माण में नारी शक्ति की बड़ी भूमिका निभाई। संविधान सभा में 15 महिला सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने संविधान सभा की बहस को सशक्त किया। संविधान में उन्होंने जो सुझाव दिए, उनका संविधान निर्माण पर बड़ा प्रभाव पड़ा। दुनिया के कई देश महिलाओं को अधिकार नहीं दे सके। भारत में महिलाओं को वोट का अधिकार शुरू से दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि दूसरा कोट पढ़ रहा हूं राधाकृष्णन जी का। उन्होंने कहा था कि इस देश के लिए गणतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। यह इतिहास की शुरुआत से ही है। तीसरा कोट मैं बाबासाहेब आंबेडकर का कह रहा हूं ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों को पता नहीं है कि लोकतंत्र कैसा होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।भारत का लोकतंत्र और अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है। विश्व के लिए बहुत प्रेरक रहा है। इसीलिए भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। मैं तीन महापुरुषों के कोट इस सदन के सामने पेश करना चाहता हूं। राजर्षि टंडन जी, उन्होंने कहा था कि सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है। यह हमारे मन में हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, जब सभाएं आयोजित की जाती थीं, जब विद्वान लोग चर्चा के लिए मिला करते थे।

यह लोकतंत्र का उत्सव मनाने का अवसर: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह पूरे देश और हम सबके लिए गौरव का पल है। यह लोकतंत्र का उत्सव मनाने का अवसर है। संविधान के 75 वर्ष की यादगार यात्रा और लोकतंत्र की यात्रा के मूल में संविधान निर्माताओं की दिव्य दृष्टि और योगदान है। यह उत्सव मनाने का पल है। खुशी की बात है कि संसद भी इस उत्सव में शामिल होकर अपनी भावना प्रकट कर रहा है। सभी सांसदों का आभार। 75 वर्ष की उपलब्धि साधारण नहीं है। जब देश आजाद हुआ, उस वक्त देश के लिए जो संभावनाएं थी, उन सभी संभावनाओं को निरस्त और परास्त करते हुए संविधान हमें यहां तक ले आया है। संविधान निर्माताओं के साथ मैं देश के नागरिकों को नमन करता हूं। संविधान निर्माताओं की भावना पर भारत का नागरिक हर कसौटी पर खरा उतरा।

संविधान भेदभाव की अनुमति नहीं देता

पीएम ने कहा कि संविधान भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। हर लाभार्थी को हम योजना का पूरा लाभ दे रहे हैं। जिसका हक है हम उसे पूरा हक दे रहे हैं। सामाजिक न्याय को लेकर हम जी रहे हैं। पीएम ने कहा कि कुछ  दलों का राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता का भाव रखने वालों से मैं कुछ पूछना चाहता हूं। देश में योग्य नेतृत्व को अवसर मिलना चाहिए या नहीं? क्या लोकतंत्र को परिवारवाद ने नुकसान पहुंचाया है? युवा राजनीति में आगे आएं इसके लिए हर राजनीतिक दल प्रयास करे। एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है। अगर हम मौलिक कर्तव्यों का पालन करें तो कोई हमें विकसित भारत बनाने से नहीं रोक सकता।

आज 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया

पीएम ने कहा कि बड़ी-बड़ी कथाएं सुनाने वालों ने आजादी के कई दशक के बाद भी आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय नहीं बनाया गया। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में यह काम किया गया। मछुआरों, सहकारिता के लिए हमने काम किया। अलग मंत्रालय बनाया। अलग कौशल मंत्रालय बनाया। ताकि युवा तैयार हों। पूर्वाेत्तर के विकास के लिए हम काम कर रहे हैं। हमने लैंड रिकॉर्ड के लिए स्वामित्व योजना बनाई। पिछले 10 वर्ष में हमने गरीब को मजबूती दी, उसमें आत्मविश्वास पैदा किया। आज 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया है। मैं संविधान के तहत काम कर रहा हूं। 

जिनको कोई नहीं पूछता, उनको मोदी पूजता है

पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि जिनको कोई नहीं पूछता, उनको मोदी पूजता है। हमने दिव्यांगों की चिंता की। हमने दिव्यांगों के लिए कॉमन साइन भाषा बनाई। घूमंतू लोगो को बॉन्ड दिए। रेहड़ी-पटरी वालों को हमने स्वनिधि योजना से लोन दिया। विश्वकर्मा कल्याण के लिए योजना बनाई। ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए हमने काम किया। आदिवासी समाज के लिए हम पीएम जनमन योजना लाए। मोदी आखिरी को भी पूजता है। देश में 60 साल में 100 बैकवर्ड जिले घोषित किए गए थे। हमने इसे बदला। हमने पांच सौ ब्लॉक को बदला है। 

हमने टॉयलेट बनाए तो मजाक उड़ाया गया

यहां जुमले की बहुत बातें होती हैं। इस देश का सबसे बड़ा जुमला था- गरीबी हटाओ। यह इतना बड़ा जुमला था कि गरीबी की बातें तो होती थीं, लेकिन उनके लिए कांग्रेस को एक टॉयलेट बनाने की फुरसत नहीं थी। हमने इस काम को हाथ में लिया और पूरा किया। उसका मजाक उड़ाया गया, लेकिन लोगों की गरिमा के लिए उस काम में हम डिगे नहीं। इसलिए वो काम पूरा हो रहा है। इस देश की जनता पीने के साफ पानी के लिए परेशान रही। ये काम भी हमने समर्पण भाव से आगे बढ़ाया है। हमने महिलाओं को धुएं से मुक्ति देकर सिलिंडर दिए। हम मुफ्त राशन दे रहे हैं। उसका मजाक न उड़ाएं। हम गरीबी से लोगों को बाहर ला रहे हैं। गरीब ने बैंक का दरवाजा नहीं देखा था। हमने उनके बैंक खाते खुलवाए। 

सदन में रखे 11 संकल्प

पीएम ने सदन के सामने 11 संकल्प रखे। पहला संकल्प नागरिक और सरकार अपने कर्तव्यों का पालन करे। दूसरा संकल्प हर क्षेत्र और समाज को विकास का लाभ मिले। तीसरा संकल्प भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो। भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो। चौथा संकल्प देश के कानून, नियम और परंपरा के पालन में देश के नागरिक में गर्व का भाव हो। पांचवां संकल्प गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो। छठवां संकल्प देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले। सातवां संकल्प संविधान का सम्मान हो। राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए। आठवां संकल्प आरक्षण न छीना जाए। धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे। नौवां संकल्प वीमेन लेड डवलपमेंट में भारत दुनिया के लिए मिसाल बने। दसवां संकल्प राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास हो। 11 वां संकल्प एक भारत श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो। इसी संकल्प के साथ हम मिलकर आगे बढ़ते हैं तो संविधान की भावना पूरी होगी। देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा तो विकसित भारत के साथ मनाएगा। 

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