रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तारीख के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है। चुनाव आयोग ने 2 चरण में राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने का फैसला लिया है पहले चरण के लिए 13 नवंबर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे 23 नवंबर 2024 को मतों की गिनती होगी। झारखंड हमेशा से बीजेपी के लिए एक मजबूत राज्य के तौर पर रहा है लोकसभा चुनाव में भी खराब प्रदर्शन के बाद भी बीजेपी ने 14 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं निर्माण के बाद से ही बीजेपी राज्य में कई बार सत्ता में आ चुकी है हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में हार और लोकसभा के प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने रणनीति में बदलाव किया है पहली बार बीजेपी राज्य में कई दलों के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने जा रही है बीजेपी ने जनता दल यूनाइटेड ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन और लोजपा रामविलास के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की है।इंडिया गठबंधन ने पिछले विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था राजद कांग्रेस और जेएमएम गठबंधन ने 81 सदस्यों वाले विधानसभा में 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी इस चुनाव में जेएमएम को 30ए कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली थी लोकसभा चुनाव 2024 में इस गठबंधन में भाकपा माले की भी एंट्री हो गयी।
पिछले चुनाव में जहां बीजेपी और आजसू अलग.अलग चुनावी मैदान में थे वहीं इस बार एनडीए में बीजेपी के अलावा आजसू जदयू और लोजपा की एंट्री हो गयी है। इंडिया गठबंधन में भी पिछले चुनाव जेएमएम राजद और कांग्रेस साथ थे वहीं इस चुनाव इस गठबंधन में भाकपा माले की भी एंट्री हो गयी है। साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने 79 सीटों पर चुनाव लड़ा था पार्टी को 25 सीटों पर जीत मिली थी बीजेपी का वोट शेयर 33.37 प्रतिशत रहा था वहीं झारखंड में बीजेपी की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी आजसू ने एनडीए से अपने आप को अलग कर के चुनाव लड़ा था आजसू ने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे पार्टी का वोट शेयर 8.1 प्रतिशत रहा था आजसू को 2 सीटों पर जीत मिली थी वहीं जनता दल यूनाइटेड ने 45 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था पार्टी को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली थी वोट शेयर 0.73 प्रतिशत रहा था विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद झारखंड विकास मोर्चा का बीजेपी में विलय हो गया था बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम ने 2019 में सभी 81 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे 3 सीटों पर जीत मिली थी और वोट शेयर 5.45 रहा था।
इंडिया गठबंधन में पिछले चुनाव में जेएमएम कांग्रेस और राजद शामिल थे उस दौरान इसे महागठबंधन के तौर पर जाना जाता था जेएमएम ने सबसे अधिक 43 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे पार्टी को 30 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 के चुनाव में एनडीए एकजुट नहीं था बीजेपी आजसू जदयू और झारखंड विकास मोर्चा के वोट को अगर जोड़ दें तो एनडीए का वोट प्रतिशत लगभग 48 परसेंट तक पहुंच जाता है वहीं इंडिया गठबंधन में अगर भाकपा माले और मासस के वोट बैंक को जोड़ दें तो वोट शेयर लगभग 37 प्रतिशत तक पहुंच जाता है हालांकि इंडिया और एनडीए के वोट शेयर में भारी अंतर देखने को मिलता है लेकिन अगर ये आंकड़े सिर्फ 81 सीटों के लिए निकाले जाए तो वोट शेयर में बहुत अधिक अंतर देखने को नहीं मिलता है एनडीए में जितने भी दल हैं उन्होंने पिछले चुनाव में थोक के भाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे जिस कारण उनका वोट शेयर अधिक है। अगर तमाम आंकड़ों को 81 सीटों पर समेटा जाए तो दोनों ही गठबंधन का वोट शेयर लगभग 40 प्रतिशत के आसपास ही रहेंगे। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शानदार सफलता मिली थी बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी बीजेपी की सहयोगी दल आजसू ने 5 सीटों पर सफलता पायी थी जेवीएम ने अलग चुनाव लड़ा था और पार्टी को 8 सीटें मिली थी जेवीएम के 6 विधायकों ने बाद में पाला बदल लिया था और वो बीजेपी में शामिल हो गए थे झारखंड मुक्ति मोर्चा को 19 सीटों पर जीत मिली थी कांग्रेस ने 6 सीटों पर और राजद ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसका खाता इस चुनाव में नहीं खुल पाया था।
झारखंड में लोकसभा की तुलना में विधानसभा चुनाव के वोट शेयर में काफी अंतर देखने को मिलता रहा है लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर विधानसभा की तुलना में अधिक रहा है बात अगर 2024 के लोकसभा चुनाव की ही करें तो भारतीय जनता पार्टी को 44.60 प्रतिशत वोट मिले थे जो कि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक रहे थे हालांकि अगर इसकी तुलना पिछले लोकसभा चुनाव से करें तो बीजेपी के वोट शेयर में 7 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली बीजेपी को 2019 के चुनाव में 51 प्रतिशत वोट मिले थे। लोकसभा के चुनाव में जेएमएम कांग्रेस गठबंधन का वोट शेयर कम रहा है हालांकि 2019 की तुलना में 2024 के चुनाव में इस गठबंधन के वोट शेयर में बढ़ोतरी देखने को मिली थी दोनों ही दलों के संयुक्त वोट के आंकड़े में लगभग 5 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी। राज्य में इस बार भी दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला कांटे का है। महंगाई, भ्रष्टाचार, आदिवासियों की जल जंगल जमीन का मुददा, सांप्रदायिकता, घुसपैठिए जैसे मुद्दे प्रमुख है।