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देश भर में चला योगी आदित्यनाथ का जादू, नारे ने बदली देश की सियासत

उत्तरप्रदेश के उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू सिर चढ़कर बोला। NDA की सहयोगी RLD समेत BJP ने 7 सीटें जीती। उपचुनाव के इन नतीजों में 2027 के चुनाव की भी झलक दिख गयी है।इसकी बानगी मुस्लिम बहुल कुंदरकी विस सीट के उपचुनाव में भाजपा की जीत से देखी जा सकती है। उपचुनाव भले ही नौ सीटों पर हुआ हो, लेकिन नतीजों की झंकार आगे भी देखी जा सकेगी और इस बार ‘बंटेगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा लोगों की जुबान पर चढ़ा। उपचुनाव में भाजपा की फतह के बाद यूपी में सीएम योगी का कद सबसे बड़ा हो गया है। जीत के बाद सीएम का स्वागत नायक की तरह किया गया। भाजपा के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सीएम के स्वागत में खड़े नजर आये।उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत की पटकथा चुनाव घोषित होने के पहले से लिख दी गयी थी। इस बार सरकार व संगठन के बीच का तालमेल बेमिसाल रहा। योगी ने चुनाव में जीत के लिए अपनी सरकार के 30 मंत्रियों की टीम बनाकर आगे बढ़े। हर क्षेत्र की कमान बड़े मंत्रियों को सौंपी गयी। जातीय संतुलन को साधने के लिए 10-10 विधायकों को हर क्षेत्र में अपनी बिरादरी में पैठ बनाने को लगाया गया।इसके साथ ही प्रत्याशियों के चयन में सरकार व संगठन ने मिलकर केन्द्रीय नेतृत्व को नाम भेजे। परिवारवाद से बचने के लिए पार्टी ने सीट रिक्त करने वाले किसी भी नेता के परिजन को टिकट नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने पहले हर सीट पर विकास को लेकर जनता से संवाद किया। दूसरे चरण में राजनीतिक रैलियों के जरिये विपक्ष को घेरा। संगठन से मिली रिपोर्ट को उपचुनाव में पूरी तरह लागू किया गया। हर विधानसभा सीट की समीक्षा और निगरानी खुद सीएम योगी ने की।

उपचुनाव में अखिलेश यादव के पीडीए के गणित को सीएम योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे-सेफ रहेंगे’ नारे ने फेल कर दिया

लोकसभा चुनाव से इतर नतीजों को पार्टी के पक्ष में लाने के लिए योगी ओैर प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ने सपा व कांग्रेस को टारगेट किया। बसपा से झटक रहे एससी-एसटी मतदाताओं को भाजपा में लाने के लिए भी अलग रणनीति बनाकर संगठन के साथ कदमताल किया। आरएसएस के कार्यकर्ता भी नौ सीटों के चुनाव को सेमीफाइनल मानकर बूथों पर काम कर रहे थे।भाजपा नेताओं का कहना है कि बेशक कुदरकी की जीत अहम है लेकिन सीसामऊ और करहल के नतीजों का सपा के पक्ष में जाना पार्टी के क्लीन स्वीप के लक्ष्य के लिए एक टीस जरूर रह गयी है।पार्टी की इस रोमांचक जीत का कोई हकदार है तो सिर्फ सीएम योगी का टीमवर्क। सभी को साधकर सीएम ने ऐसी फील्डिंग सजायी कि विपक्ष को दो सीटों पर समेट दिया। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव के नतीजों को आम चुनाव के परिणामों सरीखा देखना जल्दबाजी होगी। जनता की याददाश्त कमजोर होती है, और तब के मुद्दे भी अलग हो सकते हैं। ऐसे में इन नतीजों को सेमीफाइनल मानना कतई उचित नहीं है। हां यह जरूर कह सकते हैं कि भाजपा ने बेहतर चुनाव लड़ा और रोचक जीत दर्ज की है।

योगी के नारे ने देशभर की सियासत बदली

यूपी, झारखंड और महाराष्ट्र में सीएम योगी के नारे बटोगे तो कटोगे की सबसे अधिक चर्चा रही है। हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीएम योगी के इस नारे ने भारतीय जनता पार्टी को हैट्रिक लगाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। लिहाजा योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद फायरब्रांड हिंदुत्व के दूसरे बड़े राष्ट्रीय चेहरे के रूप में देखा जाने लगा है।यूपी के अलावा महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी रैलियों में बटोगे तो कटोगे के नारे को बड़ी प्रमुखता से लोगों के बीच पहुंचाया था। सीएम योगी के इसे नारे से विपक्ष की बेचैनी बढ़ गई थी। ऐसे में अगर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजे भाजपा के पक्ष में आते हैं तो इससे राष्ट्रीय स्तर पर सीएम योगी का कद और बढ़ना तय माना जा रहा है।चुनाव परिणाम इस बात का साफ इशारा कर रहे हैं सीएम योगी आदित्यनाथ की आक्रामक छवि, धार्मिक एकजुटता का उनका एजेंडा और जातियों में न बंटने वाली उनकी अपील काम कर गई। मतदाताओं ने बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर अपनी मुहर लगाई। लोकसभा चुनावों के उलट इन चुनावों में भाजपा से छिटका ओबीसी और दलित वर्ग भी उसके साथ आया है। परिणाम बता रहे हैं कि दलितों ने सपा को उस तरह से वोट नहीं किया जैसे उसने लोकसभा के चुनावों में वोट किया था। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी सपा के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए फायदेमंद रहीं।बंटेंगे तो कटेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया ऐसा नारा है जो यूपी से फूटा और देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया। पीएम मोदी द्वारा इसी को एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे कहकर बोला गया। यूपी के उपचुनावों के महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे यह बता रहे हैं कि इस नारे ने जमीन तक में काम किया है।

लोकसभा चुनाव धर्म से उठकर पूरी तरह से जातियों के बीच का चुनाव हो गया था। राम मंदिर वाली फैजाबाद की सीट भाजपा का हारना इस बात का संकेत था कि लोगों ने धर्म के मुद्दे पर वोट नहीं किया। जातीय जनगणना और संविधान बचाने के मुद्दे धर्म पर भारी पड़े। लोकसभा चुनाव से उलट नौ सीटों के इस चुनाव में धार्मिक एकजुटता देखने को मिली। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन चुनावों की कमान खुद अपने हाथ में ली।लोकसभा चुनाव से उलट नौ सीटों के इस चुनाव में धार्मिक एकजुटता देखने को मिली। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन चुनावों की कमान खुद अपने हाथ में ली। उन्होंने हर छोटी.बड़ी रैली में धार्मिक एकजुटता की बात कही। बंटेंगे तो कटेंगे विचारधारा के स्तर पर भाजपा की कोई नई लाइन नहीं है। भाजपा सदैव ही हिंदुओं के एकजुट रहने की बात कहती आई है लेकिन इन चुनावों में इस नारे ने एक अलग तरह का असर किया। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि लोगों ने जाति के ऊपर धर्म को चुना। सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी ही नहीं महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में भी हिंदू एकजुटता को प्रमुखता से उठाया। महाराष्ट्र में यह नारा गहराई से असर करता दिखा। सीएम ने अपनी हर रैली में लोगों से जाति के आधार पर वोट न करने की अपील की। सीएम की इस अपील की लाइन पर भाजपा के दूसरे नेताओं ने भी अपना प्रचार किया।
लोकसभा से उलट भाजपा इस बार अति आत्मविश्वास के मूड में नहीं थी। उसने सोशल इंजीनियरिंग के अनुसार उम्मीदवारों को टिकट दिए। एक.एक सीट के अनुसार रणनीति बनाई। पार्टी के कार्यकर्ता सुस्त न हों इसके लिए लगातार बैठकों का दौर जारी रहा। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने भी पक्ष में जनमत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इन चुनावों में यूपी में जाति जनगणना और संविधान का मुद्दा गायब रहा। कांग्रेस के इन चुनावों में दूरी बनाने का भी प्रदेश में इसका असर रहा। संविधान और जातीय जनगणना को प्रमुखता से उठाने वाले राहुल गांधी यूपी से पूरी तरह से गायब रहे। सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के बाद से कांग्रेस ने राज्य से दूरी बनाई। बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस के स्थानीय नेता भी चुनाव प्रचार में सपा के साथ नहीं दिखे। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भाजपा ने एतिहासिक बढ़त बनाई। इस सीट पर 1992 के बाद से भाजपा ने जीत दर्ज नहीं की थी। जातीय और सामजिक आधार पर समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं थे। कुंदरकी के परिणाम बताते हैं कि मुस्लिमों ने भी भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिए। मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सपा की हार ने सपा के पारंपरिक वोट बैक पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।
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