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गुजरात में पकड़ा गया नकली जज… फर्जी कोर्ट चला रहा था

नई दिल्ली। फर्जी आईपीएस, फर्जी दफ्तर के बाद अब फर्जी कोर्ट और जज का पर्दाफाश हुआ है. मामला गुजरात के अहमदाबाद में एक फर्जी कोर्ट पकड़ी गई. पेशे से वकील नकली जज बनकर पिछले कई सालों से फर्जीवाडे़ का यह धंधा चल रहा था. मामला प्रकाश में आया तो सभी के होश उड़ गए. कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने फर्जी जज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की.गुजरात की एक अदालत ने बुधवार को मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। आरोपी कथित तौर पर 2019 से फर्जी कोर्ट चलाकर फर्जी फैसले सुना रहा था। क्रिश्चियन को गुजरात में कथित तौर पर फर्जी अदालत चलाने और जमीन विवाद से संबंधित आदेश जारी करने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था।गुजरात के गांधीनगर में एक वकील ने फर्जी कोर्ट, फर्जी जज और फर्जी याचिकाकर्ता तैयार कर लगभग एक सौ एकड़ सरकारी जमीन को अपने नाम कर लिया। अहमदाबाद के एक जमीन विवाद में शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिश्चियन ने अहमदाबाद में फर्जी मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया और सरकारी जमीन से संबंधित आदेश जारी किए। उसने खुद को जज के तौर पर पेश किया, जिससे कई लोगों को लगा कि वे वैध कानूनी कार्यवाही में लगे हुए हैं।

अहमदाबाद शहर की पुलिस ने मॉरिस क्रिश्चियन के नाम के शख्य के खिलाफ एफआईआर दाखिल की है। मॉरिस पेशे से वकील है। पुलिस ने आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिस्टन और उसके साथ जुड़े सभी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 465,467,471,120 (बी) में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई सेशन कोर्ट के आदेश पर की है। आरोप है कि सैमुअल क्रिश्चियन ने स्वयं एकतरफा कानून के प्रावधानों के बिना मध्यस्थ यानी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उसने एक झूठा न्यायाधिकरण यानी अदालत स्थापित कर न्याय की अदालत का माहौल बना दिया था।यह भी सामने आया है कि आरोपी अपनी नकली कोर्ट में अदालत की तरह कर्मचारियों और वकीलों को खड़ा किया। खुद न्यायाधीश की तरह काम किया। इतना ही नहीं दावे का निपटारा खुद किया। इसके बाद सरकारी जमीन एक निजी व्यक्ति को सौंप दी। जबकि मूल कोर्ट में करोड़ों की सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम करने का प्रस्ताव रखा गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एडवोकेट क्रिश्चियन को मध्यस्थ-न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था, लेकिन उन्होंने एक मध्यस्थ के रूप में काम किया और कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना एकतरफा आदेश पारित कर दिया।

बताया जा रहा है मॉरिस उन लोगों को फंसाता था, जिनके जमीनी विवाद को लेकर चल रहे केस पेंडिंग थे और ये सभी केस शहर के सिविल कोर्ट में पेंडिंग थे, साथ ही वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के तौर पर कुछ पैसा लेता था, वह अक्सर मुवक्किलों को गांधीनगर में अपने ऑफिस में बुलाता था। ऑफिस को बिल्कुल अदालत की तरह डिजाइन किया गया था।बताया जा रहा है मॉरिस उन लोगों को फंसाता था, जिनके जमीनी विवाद को लेकर चल रहे केस पेंडिंग थे और ये सभी केस शहर के सिविल कोर्ट में पेंडिंग थे, साथ ही वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के तौर पर कुछ पैसा लेता था, वह अक्सर मुवक्किलों को गांधीनगर में अपने ऑफिस में बुलाता था। ऑफिस को बिल्कुल अदालत की तरह डिजाइन किया गया था।फर्जी जज मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन के खिलाफ शिकायत मिली तो सिटी सिविल कोर्ट के जज जे.एल. चौटिया ने पुलिस को मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया. कोर्ट ने पुलिस को फर्जी कोर्ट में रखे कंप्यूटर, सीपीयू और अन्य उपकरण जब्त करने का आदेश दिया है. पुलिस अपनी कार्रवाई में जुटी हुई है. वहीं, अहमदाबाद में फर्जी कोर्ट के इस खुलासे से हड़कंप मचा हुआ है. लोग हैरान हैं कि कैसे एक फर्जी जज सालों तक लोगों को बेवकूफ बनाता रहा.

असली कोर्ट के रजिस्ट्रार ने पकड़ा नकली जज 2019 में आरोपी ने इसी तरह अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया था। मामला जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी जमीन से जुड़ा था। उसके मुवक्किल ने इस पर दावा किया और पालडी इलाके की जमीन के लिए सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम दर्ज करवाने की कोशिश की। मॉरिस ने कहा कि उसे सरकार ने मध्यस्थ बनाया है।इसके बाद ठग ने फर्जी अदालती कार्रवाई शुरू की, अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश दिया, जिसमें कलेक्टर को उस जमीन के दस्तावेजों में मुवक्किल का नाम दर्ज करने का निर्देश दिया गया। आदेश को लागू करने के लिए मॉरिस ने दूसरे वकील के जरिए सिविल कोर्ट में अपील की। इसमें वही आदेश अटैच किया जो उसने जारी किया था।हालांकि, कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को पता चला कि न तो मॉरिस मध्यस्थ है और न ही न्यायाधिकरण का आदेश असली है। उन्होंने करंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद ठग के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसकी फर्जी अदालत का भंडाफोड़ किया गया।

महाठग किरण पटेल बना था PMO अधिकारी गुजरात में इससे पहले 2023 में खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का वरिष्ठ अधिकारी बताने वाले किरण पटेल का मामला भी सुर्खियों में रहा था। अहमदाबाद पुलिस ने किरण पटेल और उसकी पत्नी मालिनी के खिलाफ 22 मार्च को धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। दोनों ने मंत्री का बंगला रेनोवेशन कराने के नाम पर लिया था और इसके बाद फर्जी कागजात से उस पर कब्जा कर लिया था।किरण पटेल खुद को प्राइम मिनिस्टर ऑफिस यानी PMO का एडिशनल डायरेक्टर बताता था। इतना ही नहीं वह Z+ सिक्योरिटी, बुलेटप्रूफ SUV के साथ चलता था और हमेशा फाइव स्टार होटल में रुकता था। गिरफ्तारी के वक्त पटेल ने कहा था कि उसे केंद्र सरकार ने दक्षिण कश्मीर में सेब के बागान खरीदने वालों की पहचान करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

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