संसद मानसून सत्र के 12वें दिन भी विपक्ष का बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन मामले पर प्रदर्शन जारी है। इसके कारण दोपहर 2 बजे कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा और राज्यसभा को कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में 1 जुलाई को CISF कमांडो को बुलाने का विवाद सदन में उठाया। उन्होंने कहा- विरोध करना हमारा अधिकार है। लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करेंगे।खड़गे ने उपसभापति हरिवंश नारायण से कहा- सदन में CISF लगाया गया था, इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि ये सदन आप चला रहे हैं या अमित शाह चला रहे हैं। इसपर हरिवंश सिंह ने कहा- सदन में CISF जवान नहीं मार्शल थे।वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा, ‘विपक्ष का तरीका अलोकतांत्रिक और नियमों के खिलाफ है। ये सदन नहीं चलना चाहते हैं। विपक्ष में रहने का ट्यूशन मुझसे ले लो, क्योंकि आपको 30-40 साल तक विपक्ष में ही रहना है।’
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाया गया
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने और बढ़ाने की अनुमति मांगी गई। भारी हंगामे के बीच सदन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। मणिपुर में पहले से राष्ट्रपति शासन लागू है।लोकसभा में गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनः समायोजन विधेयक, 2024 पारित किया गया।21 जुलाई को शुरू हुए मानसून सत्र के बाद से संसदीय कार्यवाही करीब ठप रही है। बिहार में वोटरों के वेरिफिकेशन मामले पर विपक्षी पार्टियों ने हर दिन विरोध-प्रदर्शन किए। 11 दिनों के दौरान, सिर्फ 28 और 29 जुलाई को सदन में पूरे दिन की कार्यवाही चली। दोनों दिन, पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर दोनों सदनों में चर्चा हुई थी।
‘वेल में प्रदर्शन सदन के नियमों के खिलाफ’
दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि ‘क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है।’
खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं?
सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि ‘जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।’ खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?
जेपी नड्डा बोले- मुझसे ट्यूशन ले लीजिए
खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि ‘कार्यवाही को बाधित करना अलोकतांत्रिक है और यह नियमों के खिलाफ है। जिन घटनाओं का उपसभापति ने उल्लेख किया कि किस तरह से स्पीकर को बोलते समय बाधित किया गया, तो यह लोकतंत्र नहीं है, ये काम करने का तरीका नहीं है। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। अरुण जेटली के बयान को उद्धत किया गया कि बाधित करना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन बाधित करने के और भी तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।’
नड्डा ने तेज स्वर में कहा कि ‘अगर आप लाठी भांजेंगे और आपकी लाठी मेरी नाक पर लगती है तो ये गलत है। आपका लोकतंत्र वहां खत्म हो जाता है, जहां मेरी नाक शुरू होती है। जब विपक्षी सांसद अपनी जगह छोड़कर स्पीकर के बगल में खड़े होकर नारेबाजी करते हैं तो यह विरोध नहीं बल्कि अराजकता है और ये अराजकता करने की कोशिश करते हैं।’ नड्डा ने कहा कि ‘जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।’