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राज्यसभा में व्यवधान का कारण खुद सभापति, खुद ज्यादा बोलते हैं विपक्ष को बोलने नहीं देते

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया ने राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर हमला बोला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है। सभापति पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हैं। राज्यसभा में व्यवधान का कारण खुद सभापति हैं। खरगे ने कहा कि सदन में राज्यसभा अध्यक्ष के आचरण ने देश की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। वह पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। वह स्कूल के हेडमास्टर की तरह काम करते हैं। अनुभवी विपक्षी नेताओं को उपदेश देते हैं और उन्हें बोलने से रोकते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं।सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।

खड़गे ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के 4 कारण बताए…

1.सदन में एक्सपीरियंस्ड नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं।2.आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। 3 साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। 3.कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती। 4.जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं।उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। वह विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हैं, अक्सर सरकार की प्रशंसा करते हैं। हमें मजबूरी में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम राज्यसभा अध्यक्ष के व्यवहार और पक्षपात से तंग आ चुके हैं। इसीलिए हमने उन्हें हटाने का नोटिस दिया है। हमारे पास राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ कुछ भी नहीं है, लेकिन उन्होंने हमारे पास उन्हें हटाने के लिए नोटिस के साथ आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। कांग्रेस अध्यक्ष बोले कि हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है। उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सबसे बड़ा सांविधानिक पद है। 1952 के बाद से उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है। क्योंकि सभी सभापति हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है।राज्यसभा में विपक्ष द्वारा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है। इसे लेकर आज कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘बहुत पीड़ा दुख के साथ कुछ तथ्यों को रखने आये हैं। भारत का उपराष्ट्रपति पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। राधाकृष्णन, शंकर दयाल शर्मा, हिदायतुल्लाह, के आर नारायणन जैसे महान लोग इस पद पर बैठ चुके हैं। 1952 से आजतक कभी किसी उपराष्ट्रपति कर खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि वे लोग नियम और दलगत राजनीति से ऊपर सदन को चलाते रहे हैं। आज नियम को छोड़कर, राजनीति ज्यादा हो रही है।’

उन्होंने कहा,  ‘सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि वो किसी पार्टी से नहीं हैं, यानी सदन में वो सभी पार्टी से हैं। हमें अफसोस है आजादी के 75वें वर्ष में उपसभापति के पूर्वाग्रह, उनका आचरण उनके पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार के पक्ष में तारीफ के कसीदे पढ़ने लगते हैं, कभी आरएसएस को एकलव्य बताते हैं। दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी भी करते हैं। राज्यसभा के सभापति स्कूल के प्रिंसिपल की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्षी सदस्यों को 5 मिनट का समय देते हैं लेकिन खुद 10 मिनट का भाषण देते हैं।’मल्लिकार्जुन खरगे ने आगे कहा कि संसद में नियमों के तहत जो भी विषय विपक्ष के सदस्य उठाते हैं, उस पर जानबूझकर बहस नहीं होने देते। उपराष्ट्रपति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार की तरफदारी करते हैं। चेयरमैन के लिए ये कहावत है कि बाड़ ही खेत को खा रही है। सदन न चलने का सबसे बड़ा कारण चेयरमैन हैं। जब भी विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है तो सरकार के जवाब से पहले ही चेयरमैन सरकार की ढाल बन जाते हैं। चेयरमैन के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान किया है। उनसे कोई निजी लड़ाई नहीं है, बहुत सोच विचार और मंथन करके मजबूरी में हमने ये कदम उठाया है। संसद के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेस करके विपक्ष ने राज्यसभा अध्यक्ष पर बड़े आरोप लगाए हैं।

डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि संसद में सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस देश के लोकतंत्र पर जबरदस्त हमला किया जाता है और वे सभापति की ओर से संरक्षित होते हैं। यह बहुत दुखद है। हमने पहले भी अनुभव किया है जब भाजपा विपक्ष में थी और जब कांग्रेस भी विपक्ष में थी। जब भी विपक्षी नेता बोलने के लिए खड़े होते हैं या तुरंत बोलने की पेशकश करते हैं, तो विपक्षी नेता को मंच दिया जाता है और कोई भी बाधा नहीं डालता। देश में क्या चल रहा है, हमें बोलने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि यह संसदीय लोकतंत्र और इस देश के लोकतंत्र के लिए एक झटका है।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत की बहाली को लेकर है। अगर आपने पिछले दो दिनों की कार्यवाही देखी है, कुछ लोगों ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, जिनका हम सम्मान करते हैं। यह न केवल पीड़ा देता है बल्कि हम यह भी सोचते हैं कि अगर आने वाले दिनों में सत्ता परिवर्तन होता है, तो क्या हम लोकतंत्र की मरम्मत और बहाली कर पाएंगे?

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