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26 दिसंबर 1978: तिहाड़ जेल से 7 दिन बाद रिहा हुई थीं इंदिरा गांधी

नई दिल्ली: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आज ही के दिन यानी 26 दिसंबर 1978 को 7 दिनों की जेल के बाद तिहाड़ से रिहा हुईं थीं। इमरजेंसी के दौरान विपक्षी नेताओं की हत्या की साजिश रचने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के बाद देश भर में हड़तालें और विरोध प्रदर्शन हुए। संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के आरोप में एक हफ्ते की कैद के बाद, 26 दिसंबर की रात उन्हें रिहा कर दिया गया। बता दें कि इंदिरा गांधी 1966 से 1977 तक लगातार तीन बार देश की प्रधानमंत्री रहीं। 1980 में चौथी बार इस पद पर पहुंचीं। 1984 में उनकी हत्या कर दी गई थी।

इंदिरा की गिरफ्तारी से हिल गया था देश

इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी एक अभूतपूर्व घटना थी। इमरजेंसी के दौरान जेल में बंद सभी विपक्षी नेताओं की हत्या की योजना बनाने के आरोप में उन्हें 19 दिसंबर 1978 गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी ने देश भर में विरोध की आग भड़का दी। कांग्रेस समर्थकों ने उनकी तुरंत रिहाई की मांग की। राष्ट्रव्यापी अशांति के बीच, संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के लिए एक हफ्ते जेल में बिताने के बाद, 26 दिसंबर की रात इंदिरा गांधी को रिहा कर दिया गया।

मोरारजी सरकार पर था गिरफ्तारी का दवाब

1977 के आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। नई सरकार में इंदिरा गांधी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग उठी। सरकार पर दबाव था कि आपातकाल लगाने के लिए इंदिरा गांधी को सबक सिखाया जाए। तब 19 दिसंबर 1978 को इंदिरा गांधी को लोकसभा से निलंबित कर दिया करके गिरफ्तार किए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ।

जेल पहुंच गईं इंदिरा

हालांकि, इंदिरा सदन से नहीं हिली। आखिरकार रात में लोकसभा अध्यक्ष ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया। स्पीकर के आदेश पर तत्कालीन सीबीआई ऑफिसर एनके सिंह संसद भवन पहुंचे। तब इंदिरा ने बिना ना-नुकुर संसद भवन के उसी दरवाजे से निकलीं जिससे वो बतौर प्रधानमंत्री निकला करती थीं। उन्हें गिरफ्तार करके सीधे तिहाड़ जेल ले जाया गया जहां उन्हें 7 दिन रखा गया। इंदिरा जब 1980 में फिर से प्रधानमंत्री बनीं तो एनके सिंह को सीबीआई से निकाल दिया गया।

सोनिया जाती थीं इंदिरा के लिए जेल में खाना लेकर

तत्कालीन मोरारजी देसाई की सरकार ने इंदिरा गांधी को संसद के सत्र जारी रहने तक के लिए जेल भेज दिया गया था। उन पर संसदीय विशेषाधिकार के हनन का आरोप था। उन्हें तिहाड़ जेल के वार्ड नंबर 19 में रखा गया था। इस गिरफ्तारी के बाद तकरीबन हफ्ते भर तक इंदिरा गांधी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रही थीं। कहा जाता है कि इस दौरान सोनिया गांधी खुद खाना लेकर इंदिरा गांधी के लिए तिहाड़ जेल जाती थी।

कब और कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लंडर?

इंदिरा गांधी पर आरोप की पृष्ठभूमि होती है लोकसभा का वो चुनाव जो वो हार गई थीं. आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने चुनाव का प्रचार करने में भ्रष्टाचार किया. चुनाव प्रचार के लिए 100 जीपें खरीदी गईं और खरीदारी का पैसा कांग्रेस पार्टी का नहीं था. उसमें सरकारी और उद्योगपतियों से लिए गए पैसे का इस्तेमाल किया गया.पार्टी में इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की मांग तेज होती है. गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई के अधिकारी एनके सिंह को चुना. गिरफ्तारी की तारीख तय हुई 1 अक्टूबर, लेकिन शनिवार होने के कारण चौधरी चरण सिंह की पत्नी का कहना था वो दिन शुभ नहीं है. इसके बाद भी 2 अक्टूबर का गांधी जयंती का दिन भी सही नहीं लगा, इसलिए 3 अक्टूबर की तारीख पर अंतिम मुहर लगी. गिरफ्तारी के लिए एक शर्त भी रखी गई, कहा गया कि इंदिरा की गिरफ्तारी तो होगी, लेकिन उन्हें हाथकड़ी नहीं लगाई जाएगी.

गिरफ्तारी का समय शाम को रखा ताकि वो एक रात जेल में बिताएं

उनकी गिरफ्तारी का समय जानबूझकर शाम को रखा गया ताकि एक रात जेल में बिताएं. 3 अक्टूबर 1977 को शाम सवा 5 बजे सीबीआई के अफसर इंदिरा गांधी के घर पहुंचते हैं. इसकी जानकारी मिलते ही पहले उनके निजी सचिव आरके धवन बाहर आते हैं और उनके वहां आने की वजह पूछते हैं.

एनके सिंह अपने आने की वजह सिर्फ इंदिरा गांधी को बताने की बात कहते हैं. यह बात जब इंदिरा गांधी को बताई जाती है तो वो जवाब भिजवाती हैं, आप अपॉइंटमेंट लेकर क्यों नहीं आए. एनके सिंह जवाब देते हैं कि मैं जिस लिए आया हूं उसके लिए अपॉइंटमेंट की जरूरत नहीं है. एनके सिंह को एक घंटे तक बाहर ही रोका जाता है, इस बीच कई लोग अंदर आते हैं तो सवाल उठता है क्यों? एनके सिंह को जवाब मिलता है कि ये सभी अपॉइंटमेंट लेकर आए थे. इस पर एनके सिंह भड़कते हैं और कहते हैं अगर मुझे 15 मिनट के अंदर उनसे मिलने का मौका नहीं मिलता है तो बड़ा फैसला लिया जाएगा.

अंतत: इंदिरा गांधी बाहर आती हैं और कॉरिडोर की तरफ जाती हैं. एनके सिंह कहते हैं, मैं आपको गिरफ्तार करने आया हूं. आप पर भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं. यह सुनकर इंदिरा भड़क जाती हैं और गुस्से में कहती हैं मुझे गिरफ्तारी का डर नहीं है, लाइए हथकड़ियां. कुछ समय बाद इंदिरा गांधी शांत होती हैं तो साथ चलने के लिए कुछ समय मांगती हैं. वह अपने कमरे में जाती हैं और अंदर से बंद कर लेती हैं. करीब साढ़े आठ बजे वो निकलती हैं और इस गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कार में बैठ जाती हैं.

अब कानूनी कार्यवाही शुरू होती है. जज सबूत की मांग करते हैं तो कहा जाता है कि प्रॉसीक्यूशन के पास यह साबित करने का कोई सबूत नहीं है. नतीजा, इंदिरा गांधी को बरी कर दिया जाता है.

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