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दक्षिण भारत से क्यों उठ रही है ज्यादा बच्चे पैदा करने की मांग

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दक्षिण भारत से फिर एक बार ज्यादा बच्चे पैदा करने की मांग उठने लगी है. पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और अब तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपनी आवाम से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है.दक्षिण भारत के दो बड़े राज्य – तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने दो दिन के भीतर अपनी आवाम को ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी है. चंद्रबाबू नायडू ने जहां कम से कम दो या उससे अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 16 बच्चे पैदा करने तक की सलाह दे डाली.दक्षिण भारत के मुख्यमंत्री ही ऐसी बात क्यों कर रहे हैं?इसके पीछे इन राज्यों का लुढ़कता प्रजनन दर है या कुछ और? 

पहला – दरअसल, एनएफएचएस-5 के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि दक्षिण के सभी राज्यों में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. एक ओर लैंसेट की स्टडी के मुताबिक भारत का औसत प्रजनन दर साल 2021 में 1.9 रहा.यह अपने आप में दुनिया की आबादी के लिए बेहतर समझे जाने वाले 2.1 प्रजनन दर (रिप्लेसमेंट लेवल) से कम था. उसमें भी दक्षिण भारत के राज्यों पर गौर किया जाए तो स्थिति काफी चिंताजनक नजर आई.एनएफएचएस-5 के मुताबिक दक्षिण के राज्यों में आंध्र प्रदेश 1.70, कर्नाटक 1.70, केरल 1.80, तमिलनाडु 1.80, तेलंगाना 1.82 के प्रजनन दर के साथ राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे रहा.यानी इन बयानों का एक पक्ष तो यह है कि सभी बयान दक्षिण भारत के राज्यों की गिरती प्रजनन दर और बुजुर्ग होती आबादी के सवाल को संबोधित करने के लिए दिए जा रहे हैं हैं.

दूसरा –जानकारों का कहना है कि प्रजनन दर में गिरावट के कारण कामगारों की संख्या में कमी आ सकती है. साथ ही, इससे समाज की बनावट पर भी असर पड़ सकता है. जहां राज्यों को बुजुर्ग आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी. 2050 तक 60 बरस से ज्यादा उम्र वाले लोगों की तादाद आबादी में नौजवानों के मुकाबले अधिक हो सकती है. यह चिंता जापान, चीन और दक्षिण एशिया के कई देशों की तरह अब भारत के दक्षिण राज्यों में घर करने लगी है.

तीसरा – आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने ऐसी बात पहली दफा नहीं की है. आबादी की बढ़ोतरी को लेकर बयान देने के मामले में चंद्रबाबू का रिकॉर्ड काफी पुराना है.2015 में नायडू ने कहा था कि अव्वल तो नौजवान जल्दी शादी नहीं कर रहे हैं और अगर शादी करते भी हैं तो बच्चे नहीं करते. 2016 में भी इसी तरह उन्होंने अमीर तबके पर यह कहते हुए हमला बोला था कि वे निःशंतान या फिर एक बच्चे के साथ संतोष कर रहे हैं.नायडू या फिर दक्षिण के मुख्यमंत्रियों की एक उलझन यह भी है कि कम होती आबादी कहीं उनकी राजनीतिक ताकत न कम कर दे. वे ऐसे भी देखते हैं कि अगले परिसीमन और संसद की सीटों के बंटवारे में आबादी के हिसाब से उन्हें उत्तर के राज्यों की तुलना में कम सीटें न नसीब हों.

चौथा – एक सवाल यह भी है कि राज्य सरकारों की इसमें कोई भूमिका होनी चाहिए क्या कि किसी शख्स को कितने बच्चे पैदा करने चाहिए. जवाब है – बिल्कुल नहीं. राज्य सरकारों की भूमिका गर्भवती मां और फिर बच्चे के स्वास्थ्य की होनी चाहिए. साथ ही, सरकार को गर्भ निरोधक विकल्प मुहैया कराने चाहिए.भारत सरकार की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2045 तक एक स्थिर आबादी की चाह रखती है. ताकि उससे एक सतत आर्थिक बढ़ोतरी, सामाजिक विकास और पर्यावरण के बचाव पर जोर दिया जा सके. ऐसे में, राज्य सरकारों को केंद्र की नीति को और बेहतर करने के लिहाज से बयान देने चाहिए.

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