गढ़वाल से लेकर कुमाउं तक युवाओं ने पंचायत चुनाव में झंडे गाढ़ दिए हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में युवाओं और महिलाओं के नाम का डंका बज रहा है। इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है। इनमें भी युवाओं ने बढ़-चढ़कर अपना जलवा दिखाया है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक युवाओं का परचम लहरा रहा है। इसी कड़ी में अल्मोड़ा के चौखुटिया ब्लॉक की कोट्यूडा ताल सीट से 21 वर्षीय निकिता ने क्षेत्र पंचायत सदस्य बीडीसी के पद पर जीत हासिल की है।निकिता का नाम सबसे कम उम्र की बीडीसी सदस्य बनने में दर्ज हो गया है। पंचायत चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाली निकिता को कुल 456 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी निशा को 415 वोट प्राप्त हुए और 14 वोट रद्द हुए। निकिता ने 41 वोटों के अंतर से क्षेत्र पंचायत सदस्य की सीट पर कब्जा किया।निकिता की उम्र भले ही कम है, लेकिन उनकी शिक्षा और सूझबूझ को देखते हुए जनता ने निकिता पर भरोसा जताया और बीडीसी के पद पर उनको जिता दिया। ग्रेजुएशन कर रही निकिता ग्रामीण महिलाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर काम करने की बात कह रही हैं। निकिता के अनुसार, इन सभी मुद्दों पर जागरूकता लाने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाएं अब सिर्फ वोट नहीं देगी, बल्कि नेतृत्व भी करेंगी।21 साल की निकिता की जीत उन ग्रामीण लड़कियों के लिए भी प्रेरणादायक है, जो आगे बढ़ने का सपना देखती हैं। इस युवा प्रतिनिधि ने क्षेत्र पंचायत सदस्य के जरिए राजनीति में प्रवेश किया है और इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई उम्मीद भी जगाई है।
22 वर्षीय साक्षी ने पंचायत चुनाव में जीत दर्ज कर गांव की युवा प्रधान
पौड़ी जिले की पाबौ ब्लॉक के कुई गांव को युवा प्रधान मिली है। 22 वर्षीय साक्षी ने पंचायत चुनाव में जीत दर्ज कर गांव की सबसे युवा प्रधान बनने का गौरव हासिल किया है। देहरादून से बीटेक की पढ़ाई पूरी कर गांव लौटी इस बेटी ने अपने क्षेत्र का विकास करने की ठानी है।साक्षी ने देहरादून से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव लौटकर क्षेत्र के विकास में योगदान देने का निश्चय किया। इसी सोच के साथ साक्षी ने ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ा और जनता का विश्वास जीतकर प्रधान चुनी गईं।साक्षी का कहना है कि वह अपने तकनीकी ज्ञान और शहरी अनुभव का उपयोग गांव के समग्र विकास में करेंगी। उनका सपना है कि गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए आयाम विकसित किए जाएं। गांववासियों को साक्षी से नई ऊर्जा और बदलाव की उम्मीद है।
शक्तिपुरबुंगा: 21 साल की प्रधान बनीं तनुजा
चंपावत में शक्तिपुरबुंगा ग्राम पंचायत की नवनिर्वाचित 21 वर्षीय ग्राम प्रधान तनुजा बिष्ट सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बनी हैं। उनका कहना है कि जिला मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत में आजादी के 75 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव होना गंभीर विषय है। जिसको लेकर ही उन्होंने पंचायत चुनाव में भागीदारी का निर्णय लिया है। तनुजा का कहना है कि वह गांव के विकास के लिए चुनाव मैदान में उतरी और जनता को अपनी बात समझाने में कामयाब रही।

सारकोट: 21 साल की प्रियंका बनीं प्रधान
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सबसे बड़े गांव सारकोट की नवनिर्वाचित प्रधान प्रियंका नेगी महज 21 वर्ष की हैं। प्रियंका अपने गांव को विकास के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति का आदर्श गांव बनाने का संकल्प लेकर कुछ नया कार्य करने के लिए उत्साहित हैं। सारकोट गांव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आदर्श गांव घोषित किया है। प्रियंका ने पिता से राजनीति सीखी।
बणद्वारा: 23 साल के नितिन विजयी हुए
चमोली के ही दशोली विकास खंड के बणद्वारा गांव में ग्राम प्रधान पद पर 23 साल के नितिन विजयी रहे है। चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी रविंद्र को उनके समान 138 वोट मिले थे। इसके बाद टॉस की प्रक्रिया के जरिए चयन किया गया। जिसके बाद नितिन विजयी हुए।
क्विरिजिमिया: 22 साल की ईशा ने चुनाव जीता
मुनस्यारी की क्विरिजिमिया गांव की 22 वर्षीय ईशा को पंचायत चुनाव में पूरे गांवों ने सर आंखों पर बैठाया है। इस छोटे से गांव की ईशा जिले की सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बन गई हैं। ईशा कहती हैं कि प्रधान बनाकर विकास करेंगे।
गूलरगोजी: 21 साल की आरती के बुलंद इरादे
यूएसनगर में गूलरगोजी की ग्राम प्रधान आरती की भी उम्र महज 21 साल है लेकिन उनके इरादे बेहद बुलंद है। उनका कहना है कि छोटी उम्र में प्रधान जरूर बने हैं लेकिन विकास का वादा बड़ा है। वह गांव की तस्वीर बदलने में सक्षम हैं।
महंत गांव: 22 वर्षीय दीपेश के सपने भी बड़े
महंतगांव में 22 वर्षीय दीपेश हर्बोला ने जीत दर्ज की और ग्राम प्रधान बने। दीपेश हर्बोला को 123 मत प्राप्त हुए। वहीं, उनके निकट प्रतिद्वंद्वी इंद्र सिंह ने 70 मत मिले। दीपेश का उद्देश्य अपने गांव को एक आदर्श ग्राम पंचायत का दर्जा दिलाना है।